Saturday, 29 August 2015

रक्षाबंधन और समाज में लड़की की स्थिति !

किसी विषय वस्तु की संवेदनशीलता अगर ज्यादा हो तो, मुश्क़िल होता है बातों को समझना .... मुश्क़िलें तब और बढ़ जाती है जब बात समझ मे आ जाती है।
मेरे साथ भी यही हो रहा है.....
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क्या हमारा समाज बदल नही सकता है ?
यहाँ पर कुछ ख़ास लोगों को जीने का अधिकार है?
अगर नही,तो हम सभी क्यों यहाँ पर किसी का जीवन छीन लेते हैं?
"जिसका अभी जन्म भी नही हुआ है उसकी हत्या "
हत्या करने और करवानें वालों की रूह भी नही काँपता है। जन्म से पहले ही मृत्यु, किसी का हो तो.... सुन कर अज़ीब लगता है .........
यह मौत का खेल भी अज़ीब है....इसके बारे में लिखें तो कैसे लिखे
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मेरे लिए आज यहाँ पर लिखना बहुत ही मुश्क़िल और चुनौतिपूर्ण लग रहा है.....
क्योंकि मारने वाले अपने ही लोग होते हैं...उनके माता-पिता ..अपनी संतान की हत्या ,वह भी भ्रूण अवस्था में ...
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यह कटु सत्य है कि लड़का होने पर उस भ्रूण के  साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होती, किंतु लड़की की इच्छा न होने पर उस भ्रूण से छुटकारा पाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है. अब सवाल यह उठता है कि मां उस अजन्मे शिशु को मारने की स्वीकृति कैसे दे देती है? क्या उस बच्ची को जीने का अधिकार नहीं है? उस बेचारी ने कौन सा अपराध किया है? यह कृत्य मानवीय दृष्टि से भी उचित नहीं है...
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गर्भ में पलने वाले बच्चे की सेहत की जाँच के लिए अल्ट्रासाउंड की मदद ली जाती है, ना की उसकी गला घोटने के लिए...
शहरी क्षेत्र के लोग और पढ़े लिखे लोग इस यंत्र का व्यापक उपयोग कन्या भ्रूण हत्या के लिए करते हैं, और कहते है कि हम शिक्षित है इस लिए "हम दो हमारे एक या दो" बोलकर अपने खून से सने हाथ से अपना चेहरा छुपाते है.........।
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कन्या भ्रूण हत्या की कुछ दर्दनाक और अन्जान पहलू, मैं आप सभी के सामने रखता हूँ.......................

माँ के गर्भ में पल रही कन्या की जब हत्या की जाती है तब वह बचने के कितने जतन करती होगी यह माँ से बेहतर कोई नहीं जानता। गर्भ में "माँ मुझे बचा लो" की चीख कोई खयाली पुलाव नहीं है बल्कि एक दर्दनाक हकीकत है.......
गर्भपात के दौरान भ्रूण स्वयं के बचाव का प्रयास करता है। गर्भ में हो रही ये भागदौड़ माँ महसूस भी करती है।
10-12 सप्ताह की कन्या की धड़कन जब 110-130 की गति में चलती है, तब बड़ी चुस्त होती है, लेकिन जैसे ही पहला औज़ार गर्भाशय की दीवार को छूता है तो बच्ची डर से कांपने लगती है और अपने आप में सिकुड़ने लगती है। औज़ार के स्पर्श करने से पहले ही उसे पता लग जाता है कि हमला होने वाला है। वह अपने बचाव के लिए प्रयत्न करती है.......लेकिन खुद को बचाने के लिए अब किसे पुकारे जब अपने ही लोग मार रहे हो, बिना चेहरा-रंग-रूप देखे....... औज़ार का पहला हमला कमर और पैर पर होता है। गाजर-मूली और सब्जी की भांति उसे काट दिया जाता है। कन्या तड़पने लगती है।फिर जब उसकी खोपड़ी को ममोर कर तोड़ा जाता है तो एक मूक चीख के साथ उसका प्राणांत हो जाता है......अकारण दण्ड परिणाम स्वरूप बिना जन्म लिए ही मृत्यु... यह दृश्य हृदय को दहला देता है। इस निर्मम कृत्य से ऐसा लगता है, मानों कलियुग की क्रूर हवा से मां के दिल में करुणा का दरिया सूख गया है.......तभी तो दिन-प्रतिदिन कन्या भ्रूण हत्याओं की संख्या बढ़ रही है....
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डॉक्टर और दंपती के बीच कन्या भ्रूण  हत्या का खेल कुछ इस तरह होता है  कि आप को पढ़ कर आश्चर्य होगा की मानवता का मूल्य कितना गिर गया है और हम हाथ पर हाथ रख कर चुप-चाप लाश बन कर देख रहे हैं.........
अल्ट्रासाउंड के द्वारा भ्रूण की लिंग जाँच में कूट भाषा का प्रयोग करता है ,रिपोर्ट देने के क्रम में:-
1) रिपोर्ट 9 बजे शाम को देना है:-मतलब लड़की गर्भ में है | अंक 9 देखने मे small letter of english "g" के समान है अर्थात girl ....
रिपोर्ट 6 बजे शाम को देना है:-मतलब लड़का गर्भ में है | अंक 6 देखने मे small letter of english "b" के समान है अर्थात boy ...
2) रिपोर्ट MONDAY को देना है:- मतलब गर्भ मे लड़का है। पहला letter M है दिन के नाम मे,अर्थात MALE ...
रिपोर्ट FRIDAY को देना है:- मतलब गर्भ मे लड़की है। पहला letter F है दिन के नाम मे,अर्थात FEMALE ...
3) अल्ट्रासाउंड का रिपोर्ट no. 18 है। मतलब लड़की है गर्भ मे :-क्योंकि लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष होता है....
अल्ट्रासाउंड का रिपोर्ट no. 21 है। मतलब लड़का है गर्भ मे :-क्योंकि लड़का का शादी की उम्र 21वर्ष होता है।
4) कुछ लोग तो और हद कर देते हैं ।
गर्भ मे लड़का हो तो उसे दीवार पर लगे कृष्ण भगवान के फ़ोटो की ओर इसारा किया जाता है ....
गर्भ मे लड़की हो तो उसे दीवार पर लगे राधा के फ़ोटो की ओर इसारा किया जाता है :--मतलब साफ़ है अपनी राधा की हत्या हमसे करवा लीजिए......आज 5000 ₹ ख़र्च कीजिए ,कल दहैज*  में 5 लाख से 50 लाख ₹ तक की बचत कीजिए ..इतने कम दाम में दूसरे जग़ह आप का काम नही करेगा....सहमति मिल जानें पर दोनों ख़ुशी-ख़ुशी हाथ मिलते हैं .......
कहना मैं सिर्फ़ यह चाहता हूँ कि अपने सन्तान की बोली लगते यह घबड़ाते या हिचकते भी नही हैं, लड़की हो तो जन्म से पहले भ्रूण हत्या के लिए...यदि लड़का हो तो उसके शादी के पहले उसे बेचनें के क्रम मे दहैज * के लिएबोली लगते हैं।.....*(दहैज अशुद्ध लिखा गया है कारण आप को पता होगा)
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समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उस देश के कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना बहुत बड़ी विडंबना है। पुत्र कामना के चलते ही लोग अपने घर मे बेटी के जन्म की कामना नही करते हैं.............।
---------------चेतावनी-------------
बार बार गर्भपात से औरतों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
यह भ्रूण हत्या का सिलसिला इसी रूप में चलता रहा तो भारतीय जनगणना में कन्याओं की घटती संख्या से भारी असंतुलन पैदा हो जाएगा। यदि बदलाव नहीं आया तो आने वाले कुछ वर्षों में ऐसी स्थिति आ जाएगी कि विवाह योग्य लड़कों के लिए लड़कियां नहीं मिलेंगी।
विवाह के लिए अपहरण किया जाएगा,उसकी इज्जत पर हमले होगें, उसे जबरदस्ती एक से पुरूषों की पत्नी बनने पर मजबूर भी किया जायेगा.................।
"प्रसव पुर्व लिंग परिक्षण एंव कन्या भ्रूण हत्या" एक क्रूर अपराध है। इस अपराध,अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने की शुरुआत अपने अपने घर, आस पास की जगहों से होनी चहिए................

~~~~~~~अजन्मी बेटी करे पुकार, मुझको भी दो जीने का अधिकार~~~~~~~
जब जब रक्षाबन्धन आता है..उस मां का दिल भर आता है....राखी ने उसके बेटे की भी कलाई सजाई होती.....काश..! उसने कोख मे ही बेटी ना मरवाई होती.................

"बेटी को गर्भ में मारने वाले परिवार के लड़को को सूनी कलाई मुबारक हो "
आज उस परिवार को पता चलता होगा ...कन्या भ्रूण हत्या कितना मंहगा था.........

बहन हो चाहत न बची ,बेटी जन्मने की हिम्मत न रही ।
नारी को भोगवाद समाज के ठीकेदारो नें, वासनापूर्ती की वस्तु ही बनाया है ।।