Monday, 21 August 2017

घर से भी कभी निकल कर देखो....

घर से कभी निकल कर देखो
कभी जलती धूप में तप कर देखो..
बारिस में खुद को डुबो कर देखो
सर्द मौसम में कभी कांप कर देखो...

जिंदगी क्या चीज होती है ?
किताबों के सागर से निकल कर देखो...

कभी आँखों का धोख़ा हो सकता है
फासलों की दूरी मिटा कर देखो...

मिले न मिले, इंतज़ार कर के देखो
अपनों के संग दो वक़्त गुजार कर देखो...

मुहब्बत क्या चीज़ होती है ?
दो क़दम हाथ थाम कर चल कर देखो...