काजल में गुस्सा
आँखों में बादल
गालों पर समुंदर
चेहरे पर लाली
होठों पर खामोशी
बालों में नफरत
मांग में सपना
गले मे शब्द
हृदय में मोहब्बत
हाथों में छड़ी
मेंहदी में नाम
पाँव में रुनझुन
पैर में ठहराव
चूड़ी में थकान
आँचल में छाँव
बाहों में इंतज़ार
..
और अंत में
मैं घुटना टेके हुए सामने
बिन बादल बरसात में भीगें
जाते जाते
पगली कुछ भी नही समझती है
बस जीने का दूसरा नाम मोहब्बत कहती है