हम सब बाढ़ के साथ सृजन घोटाला का मजा ले रहे हैं ...बिहार और बिहारी का यही अंदाज सभी से अलग करता है और खास बनाता है ... समस्या(बाढ़ ) कतना भी क्यों न हो जुगार(सृजन) लगा कर मुस्कराना जरुर पड़ता है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अंतरात्मा की आवाज सिर्फ 24 घंटे के अंदर त्यागपत्र देकर फिर से मुख्यमंत्री बनने में सुनाई देता है... बाढ़ में हर साल मरते आदमी की आवाज सुनाई नही देता है ... जबकी 12 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठ कर मजा लुट रहें है..अब कितना विकास के लिए समय दिया जाय ...
प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान के तहत अभी जरा सा झाड़ू उत्तर बिहार के मित्रों और भाईओं एवम् बहनों के यहाँ लगा दे तब समझ आएगा ... गंदगी कितनी है..पानी कितना है ..समस्या कितना है..और यहाँ के लोगों का जान कितना सस्ता है.
अमित शाह जहाँ चुनाव नही होता वहाँ जाते नही हैं .. दिखावे के लिए दलित घर में खाना खाते हैं और पानी पीते हैं .. इसको बोलो अररिया/सहरसा /मधेपुरा/सुपौल/दरभंगा आकर दलित के घर खाना खाने (सरकारी चुरा चीनी )के लिएऔर कोसी नदी का पानी पीने के लिए..तब समझ आयेगा गरीब का भूख और उसका खाना क्या होता है ?
लालू यादव अपने जवान बेटो को बाढ़ क्षेत्र में नही भेजता है .. 27 तारीख के रैली का तैयारी करबा रहा है ..बिहार की लोग डूबे मरे इस से इसको कोई मतलब नही बस इसके रैली में भीड़ होना चाहिए.. इसको कभी भी बिहार के लोगों की चिंता होती ही नही है..
बिहार में प्रत्येक 2 महीनें में भ्रष्टाचार होता है..सब नेता उसी से बचने के लिए दिमाग लगायेगा उसके बाद अगले महीने फिर से अगला भ्रष्टाचार...यह चलता रहता है... मुख्यमंत्री कोई रहें कोई फर्क नही पड़ता है ..लालू रहे या नीतीश...
और अंत में...
उत्तर बिहार के आंचल में लिखा है बाढ़ ..इसी के गोद में जन्म लेना है, खेलना है , बड़ा होना है और इसी में एक दिन डूब कर मर जाना है....