Monday, 18 December 2023

वैसा नही हूँ जैसे मिलता हूँ तुम्हें थाने में

आओ और मिलो मेरे पुराने  दोस्तों से
वैसा नही हूँ जैसे मिलता हूँ तुम्हें थाने में

आओ और मिलो मेरे गाँव के  वादियों से
वैसा नही हूँ जैसे मिलता हूँ तुम्हें वर्दी में

आओ और पढ़ो मेरे लिखे शेरो और शायरी को
वैसा नही हूँ जैसे लिखता हूँ केस डायरी में

आओ और मिलो मेरे सपनों की बस्ती में
वैसा नही हूँ जैसे मिलता हूँ तुम्हें रात्रि गस्ती में

और अंत में

आओ और मिलो मुझसे  सच सुनो अकेले में
वैसा नही हूँ जैसे मिलता हूँ तुम्हें कोर्ट कचहरी में

जाते जाते

आओ और मिलो मुझसे कभी छुट्टी में
वैसा नही हूँ जैसे मिलता हूँ तुम्हें ड्यूटी में