Sunday, 29 January 2023

चाय

ये चाय नही है साहब, आदत है
जैसे सुबह उठ कर, 
किसी से मिलना हो/अखबार पढ़ना है
किसी के होने के एहसास दिलाता है
सब कुछ अच्छा होगा, भरोसा दिलाता है
अपनापन का एहसास दिलाता है
रिश्तों को तरोताजा हर सुबह करता है
दोपहर का खालीपन का अपना साथी है
शाम में किसी का इंतज़ार करता है
किसी से बेवजह बातचीत का जरिया है
थकान, नींद,शिर दर्द का छूमंतर है

और अंत

एक पगली से मिलने का बहाना है
देर तक उसे बिना थके देखने का बहाना है
उसे बातों में उलझनें का सस्ता तरीका है