उससे खैरियत पूछे बिना,
मैं खैरियत का हाल लिख नही सकता।।
उसके मुस्कुराने पर मौसम साफ लिखता हूँ
उसके नाराजगी पर आसमान में बदल छाया लिखता हूँ
उसके गुड नाईट लिखने पर हाजत शून्य लिखता हूँ
कुछ नही लिखने पर हाजत मूड के हिसाब लिखता हूँ
उससे मिलने पर आज का डायरी लिखना शुरू करता हूँ
उससे बिछुड़ने पर पिछले 24 घण्टे का डायरी लिखना बंद करता हूँ
और अंत में
उसने मुझसे रिश्वत में मोहब्बत मांगती है
दूसरे तरफ मोहब्बत में भ्र्ष्टाचार पसंद नही करती है