एक दीया मैंने भी जलाई है.. जिसमें उम्मीदों का बाती है.. जो तेल/तिल से नही बल्कि हमारी विश्वासों से जलता है....इस दीये की लो..हमारी आशा और भरोसा है.. जिसके कारण दुःख से सुख की ओर.. निराश से आशा की ओर.. और अंधेरे से उज्जाले की ओर ले जाता है...
जिंदगी में अभी भी बहुत अच्छा होना बाँकी है.. इसलिए भी ये दीये की छोटी लो होने के बाद भी पूरी रात सान से जलेगा..
ये दीया तेज हवा, सीत,कुहासे,..आधुनिक प्रकाश के बीच सारी रात डट कर लड़ते, सबरते..खुद को बुझनें से बचायेगा...ये हमे बुरे वक्तों से लड़ना सिखाती है...दीये की लो..हमें हिम्मत, साहस, खुद पर भरोसा करना सिखाती है.. कभी भी आखिरी क्षण तक आपना कर्म करना भी सिखाती है...
और अंत में
आप अपने हाथों से एक दीया जरूर जला कर अपनी चौखट,आँगन ..अपनी देहरी पर जरूर रखियेगा.... ये हमे घर,आँगन, अपनो का एहसास भी कराती है..
शायद लिखनें में देरी हो गई है.. माफ़ी चाहता हूँ..
आपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..
💐💐💐💐💐💐💐