शहर खाली पड़ा है
कब्रिस्तान में भीड़ है
चूल्हे में सिर्फ़ राख बचा है
शमशान में आग लगी है
समुंद्र ठहरा हुआ है
मन में तूफान मचा है
बादल साफ़ है
आँखों में मूसलाधार बारिश लगा है
और अंत में
भीड़ में शामिल हूँ
फिर भी अकेला तन्हा हूँ