Tuesday, 20 February 2018

जय राज संग स्नेहा भारती

तेरे हर घर द्वार को आज मैं,आठो धाम लिखता हूँ
मिलन के इस अर्द्ध रात को आज अपने जीवन का सवेरा लिखता हूँ
अपनी सारी चल अचल साँसे तेरे नाम लिखता हूँ
गंगोत्री से गंगासागर तक खुद को समर्पित कर तेरे नाम लिखता हूँ
तेरी हर खुशी को अपनी खुशी मानूंगा ऐ बात सर झुका कर लिखता हूँ

तेरी माथे की बिंदिया को अपने जीवन का उगता हुआ सूरज लिखता हूँ

तेरी पाँव के रुनझुन को अपने जीवन का धुन लिखता हूँ
अपनी धड़कन का नाम भी, आज से तेरा ही नाम रख दिया हूँ यह बात भी लिखता हूँ

मैं राम तो नही फिर भी सीता समझ कर तुम्हें स्वीकार करता हूँ

सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ....
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...!!