आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी, कुछ क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;
रफ्तार में तेरे चलने से , कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतों को हंसाना बाकी है ;
कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाहिशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना बाकी है ;
कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;
इन साँसों पर हक है जिनका , उनको समझाना बाकी है ;
आहिस्ता चल ऐ जिंदगी , कुछ क़र्ज़ चुकाना बाकी है
लोग कहते हैं कि तुम्हारा अंदाज़ बदला बदला सा हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब ये अंदाज़ आया है..! A6
Saturday, 1 August 2015
जीवन दर्शन

मेरी आवाज़
★ जागे तो जरूर हम ......!
पर मरनें के कुछ देर पहले.....!!
1.
एक मित्र ने मुझे दहेज लिखनें के लिए बोला ......
मैं ने लिख दिया "दहैज" उसने बोला गलत लिखा है ।
मैंने बोला जो ग़लत है उसे सही कैसे लिख दूँ ।।
2.
सत्य शिवम् होता है .....!
लेकिन वह सुन्दरम् हो यह जरूरी नही है ...!!
.....:-
शिवम् का अर्थ:-मंगल/अच्छा/कल्याणकारी
सत्य हमेशा अच्छा या मंगल होता है और सत्य की ही हमेशा जीत होती है
.
.
लेकिन वह सुन्दर हमेशा हो यह जरूरी नही है..
.
.
Ex:- महाभारत के युद्ध मे सत्य की जीत हुई ..........
लेकिन युद्ध कभी भी सुन्दर नही होता है...!!
.
.
जो कल्याणकारी है वही सुंदर है। यह जरूरी नहीं है कि सुखद चीज सुंदर भी हो।

तेरा इंतज़ार
1.
जिंदगी खर्च कर दी हमने तुझे पाने की आस में...
इससे बढ़कर भी तेरे प्यार की कीमत क्या होगी.
2.
इस गुमराह दिल को काश ये मालूम होता ....
की मोहब्बत उस वक़्त तक दिलचस्प होता है.....
जब तक नही होता ।।
3.
कितने बेवस है तेरी चाहत मे तुझे खो कर भी अब तक तेरे हैं ।
4.
जाने लोग महोब्बत को क्या क्या नाम देते हैं ...!
हम तो तेरे नाम को ही महोब्बत कहते हैं ....!!
5.
जो पूरा न हो सका .... वो किस्सा हूँ मैं ..!
छूटा हुआ ही सही ...तेरा टूटा हिस्सा हूँ मैं ..!!
6.
महोब्बत की क्या क़ीमत होती है उनसे पूछ लीजिए ..!
हम तो भरोसे पर बिक गए....!!
7.
“अभी जो धुप निकलने के बाद भी सोया है.
वो किसी की याद में रात भर रोया है...।”
8.
बात तो सिर्फ इतनी सी थी की तुम पसंद आती हो.......!
अब बात तो सिर्फ इतनी सी है की सिर्फ और सिर्फ तुम ही पसंद आती हो...!!
9.
इश्क क्या ज़िन्दगी देगा किसी को...!
दोस्तों.........
ये शुरू ही किसी पर मरने से होता है..!!
10.
अचानक चोंक कर नींद से उठ खड़े हुए हम।
किसी ने मजाक मे कहा था।।
"वो मिलने आई है।।"

महिला सशक्तीकरण
1.
एक कवि नदी किनारे खड़ा था
तभी वहा से एक लड़की
का शव तैरता जा रहा था..
तो कवी ने उस शव से पूछा.....
कौन हो तुम ओ सुकुमारी.
बह रही हो नदी के जल में
कोई तो होगा तेरा अपना.
मानव निर्मित इस भू तल मे |
किस घर की तुम बेटी हो.
किस क्यारी की तुम कली हो |
किसने तुमको छला ह् बोलो.
क्यो दुनियां छोड़ चली हो |
किसके नाम मेंहदी हाथो रची ह तेरे.
किसके नाम की बिंदियां माथे सजी हे तेरे |
लगती हो तुम राजकुमारी .
या देव लोक से आई हो. |
उपमा रहित ये रूप तुम्हारा.
ये रूप कहा से लाई हो |
कवि की बात सुनकर लड़की की आत्मा
बोलती हे.
कवि राज मुझे क्षमा करो.
गरीब पिता की बेटी हूं |
इसलिये म्रत मीन की भांति.
जल धारा पे लेटी हूं |
रूप रंग और सुंदरता ही.
मेरी पहचान बताते हे |
कंगन चूड़ी मेंहदी बिंदिया.
सुहागन मुझे बनाते हे |
पिता के दुख को दुखी समझा.
पिता के दुख मे दुखी थी मैं |
जीवन के इस पथ पर.
पति के संग चली थी मे |
पति को मेने दीपक समझा.
और उसकी लौ मे जली थी मे |
माता पिता का आंगन छोड़कर.
उसके रंग मे रंगी थी मे |
पर वो निकला सौदागर.
लगा दिया मेरा भी मोल |
धन दौलत और दहेज की खातिर.
जल मे पिला दिया विष घोल |
दुनियां रूपी इस उपवन मे.
छोटी सी कली थी मे |
जिसको समझा था माली.
उसी के द्वारा छली थी मे |
ईश्वर से अब न्याय मांगने.
शव शैय्या पर पड़ी हू मे |
दहेज के लोभी इस संसार मे
दहेज की भैंट चढ़ी हूं मे...
दहेज की भैंट चढ़ी हूं मै...
2.
घर की शान मान सम्मान कन्यादान में दे दी
ए दहेज़ के लोभियों अब और क्या लोगे,
माँ ने अपनी प्यारी गुड़ियाँ कन्यादान में दे दी
ए दहेज़ के लोभियों अब और क्या लोगे,
पिता ने शिक्षा, संस्कार, सभ्यता कन्यादान में दे दी
ए दहेज़ के लोभियों अब और क्या लोगे,
भाई ने रक्षा बंधन की शान कन्यादान में दे दी
ए दहेज़ के लोभियों अब और क्या लोगे,
सखी ने बचपन की सहेली कन्यादान में दे दी
ए दहेज़ के लोभियों अब और क्या लोगे,
रिश्तेदारों ने मिलकर दुआएं बधाई कन्यादान में दे दी
ए दहेज़ के लोभियों अब और क्या लोग
