प्रिय मित्रों
हरिस्मरण !
आज सुबह सुबह उठते ही जब जुकरबर्ग भाई के fb को हाथ लगाया उधर से #साक्षी_मलिक बहिन सभी भारतीय निठल्ले गबरू भाई को अपने कांस्य पदक से ही राखी बाँध रही थी उसमें भी पहलवानी वाला।हम भी गर्व से अपना छाती फुला कर हाथ आगे कर दिये की आज से मेरी रक्षा की जिम्मेदारी बहन तुम्हारी हुई।
मन ही मन याद कर रहा था की एक जमाना था जब घर में लुड्डो भी खेलनें देना दूर के बात छूनें भी नही देते थे। बहुत मुस्किल से जब खिलाड़ी घट जाता तब एक, दो चान्स मिलता था... छु-ती-ती-ती, चोर-सिपाही, क्रोस- ज़ीरो, कैरम बोर्ड... यदि सब वाला खेल में मौका मिलता था उसमें भी घर के अंदर ही।
गलती से भी किसी कुत्ते पर भी पत्थर उठा कर नही फेकी होगी।कभी भी गुस्से से गिलास भी उठा कर नही पटकी होगी। हाँ अगर गुस्सा ज्यादा आने पर देर तक खाना बनाने के साथ एक दो रोटी जरूर ज्यादा बना देती थी।
अपने परवरिस के विपरीत आज तूनें पुरे दुनियाँ के सामने जो पहलवानी की है, जिस तरह से उठक-पटक कर चीत कर सारे देशवासियों को #रियो ओलंपिक में पहला पदक के साथ हमारी चहरे पर जो मुस्कान दी है, उसमें भी #रक्षाबन्धन के दिन अपने आप पर गर्व कर रहा हूँ। साथ ही अपने किये पर पश्चयताप भी हो रहा है और लज्जा भी आ रही है।
आज हम सब संकल्प लेता हूँ की तुम्हारी स्वतंत्रता, आज़ादी, पसंद, नापसंद, तुम्हारी हर इच्छा को सर्वोपरि स्थान दूँगा। तुम्हारी विकसपथ पर कभी भी धर्म, समाज का रीति रिवाज, प्रथा का आँच नही आनें दूँगा।
जो गलतियाँ हो गई तो हो गई अब अपने बराबर तुझको भी अधिकार दूँगा ही नही बल्कि किसी तरह का अंतर या भेदभाव नही करूँगा।
और अंत
हम सभी देशवासी #दीपा_कर्मकार, #सानिया, #साइना, #सिंधु, ....सभी पर हमेशा ही गर्व करता हूँ और करता ही रहूँगा। हार जीत खेल और जीवन का क्षणिक हिस्सा होता है। आप सभी पहले से ही इस देश की डायमंड, प्लेटिनीयम हैं...... स्वर्ण, रजत, कांस्य का पदक लेनें की हम सब की भी कोई तमन्ना नही है, बस हम सब के लिए आप देश का नेतृत्व करतें रहें यही हमारे लिए सोभाग्य की बात है।
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आप सभी को साथ ही मित्रों को
#__रक्षाबन्धन_की_बधाई_और_शुभकामनाएं!
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