Thursday, 11 August 2016

सच्चे प्यार को तरसती और भटकती मीना को शायद यह भी नही पता था कि उनके प्यार की मंजिल कौन है :- ट्रेजडी क्वीन

अजीब दास्तां है ये कहाँ शुरू कहाँ खतम
ये मंजिलें है कौन सी, ना  वो समझ सके न हम
फिल्म थी - #दिल_अपना_और_प्रीत_पराई। अगर आपको प्रेम कहानियों में दिलचस्पी है और आपने यह फिल्म नहीं देखी तो समझिए आप एक खास चीज देखने से महरूम रह गए हैं । वासना रहित प्रेम कितना सघन और प्रबल हो सकता है आपको इस फिल्म से पता चलता है।
कुछ दिन पहले देखी यह फिल्म का असर आज भी है। लगता है कि यह रूह में गहरे पैबस्त हो चुकी है । एक डॉक्टर से अटूट प्रेम करती नर्स की अनूठी कहानी पर फिल्म आधारित है। संयोग कह लें कि इसकी नायिका मीना कुमारी ही थीं । आप कल्पना नहीं कर सकते मीना की जगह कोई और इस गुम्फित चरित्र को निभा सकता था ।
अभिनय इतना जबरदस्त कि लगता था कि यह मीना कुमारी की ही अपनी जिंदगी हो। यही उनके अभिनय की खासियत थी। ऐसा लगता मानो फिल्मी किरदारों की रूह उनमें समा गई हो। यही क्यों, #साहब_बीवी_और_गुलाम में छोटी बहू के किरदार में मीना कुमारी अद्भुत लगी हैं।
कहते थे यह किरदार उनकी जिंदगी के बेहद करीब था । दूसरों पर प्यार का समंदर लुटाने के बाद भी सच्चे प्यार की एक बूंद के लिए तरसती मीना का दिल गमों, कराह और दर्द का ऐसा जखीरा बन चुका था जो कभी खाली न हो सका ।
यहूदी में एक विजातीय रराजकुमार को दिल दे बैठने वाली लड़की के किरदार में मीना का रोल भुलाए नहीं भूलता । मोहब्बत और फर्ज की जंग में अपनी आखें फोड़ लेने वाले ट्रेजडी किन्ग दिलीप साहब के मुकाबिल ट्रेजडी क्वीन ही टिक सकती थी।
#दिल_एक_मंदिर में उनके हीरो एक बार फिर जानी यानी राजकुमार थे। मीना कुमारी के साथ काम करते हुए उन्होंने भी अपने अभिनय का रेज गजब उठाया था । अस्पताल में कैसर से जूझ रहे पति की आखिरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए ब्याहता का सातों ‌सिंगार में सजकर आने का दृश्य अरसे तक कचोटता रहता है ।
ऐसी कितनी फिल्मों के नाम गिनाए शायद कई किताबें अधूरी पड़ जाएगी। कमाल अमरोही से बेपनाह मुहब्बत उन्हें मंजिल- ऐ- मकसूद तक नहीं पहुंचा पाई। प्यार की मृगतृष्णा उन्हें उम्र भर भटकाती रही। कभी किसी के दामन से लिपट कर रो लेना, कभी मयकशी के जरिए गम को भुलाने की नाकाम कोशिश ने निजी जिंदगी में भी उन्हें ट्रेजडी क्वीन बना दिया ।
मीना प्यार की चाहत में भटकती मीरा की तरह ही थीं । फर्क सिर्फ इतना है कि मीरा जानती थी कि उनका प्यार तो गिरधर गोपाल है जो आत्मिक तौर पर हर वक्त उनके साथ ही कहता है । सच्चे प्यार को तरसती और भटकती मीना को शायद यह भी नही पता था कि उनके प्यार की मंजिल कौन है । यही इस ट्रेजडी क्वीन की सबसे बड़ी ट्रेजडी थी।
तनहाई का इनफिनिटी तक के विस्तार का दूसरा नाम था मीना कुमारी। आप इससे इत्तेफाक रखें या न रखें । मीना कुमारी के साथ ही इश्क की मंजिल के लिए भटकती हर शख्सियत को खिराजे अकीदत पेश करते हुए।