उसे ढूँढने के लिए...
सारे शिवालयों का चक्कर लगा आया हूँ
और वो चुपचाप मन में ही शिवाला बना बैठी है
लगता है इस सावन भी शिव नही मिलेगें मुझे
लगता है पगली शिव की प्रिय दासी कहीं बन बैठी है/होगी
और अंत में
सुने हैं उसके शहर में बरसी तेज होती है
और यहाँ मैं उसे हर बूंदों में ढूँढता फिरता हूँ