Friday, 7 October 2022

वो लड़की याद आती है....

ये दुनिया प्यार के किस्से मुझे जब भी सुनाती है... 
वो लड़की याद आती है.....

कभी खुशबू भरे खत को सिरहाने रखकर सोती थी,
कभी यादों के बिस्तर से लिपटकर खूब रोती थी 
कभी आंचल भिगोती थी, कभी तकिया भिगोती थी..2 
ये उसकी सादगी है जो हमें अब भी रुलाती है 
वो लड़की याद आती है.........

चली आती थी मिलने के लिए, 
हील-ए-बहाने से गुजरती थी 
क़यामत दिल पे उसके लौट जाने से. 
मुझे बेहद सुकून मिलता था उसके मुस्कुराने से 
उतरकर चांदनी जिस वक्त छत पर मुस्कुराती है.. 
वो लड़की याद आती है.....

वो मेरा नाम गीतों के बहाने गुनगुनाती थी 
मैं रोता था तो वो भी आंसुओं में डूब जाती थी 
मैं हँसता था तो वो भी मुस्कुराती थी
अभी तक याद उसी की प्यार के वो गीत लुटाती है 
वो लड़की याद आती है.....

जहा मिलते थे दोनों वो ठिकाना याद आता है 
वफ़ा का दिल का चाहत का फ़साना याद आता है 
उसका ख्वाब में आकर सताना याद आता है 
वो नाजुक नरम उंगली अब भी मुझको गुदगुदाती है 
वो लड़की याद आती है.....

याद का सावन किताबो को भिगोता है 
अकेले में ये मुझको महसूस होता है

लड़की याद आती है …..

मैं अपने ज़िन्दगी का

मैं तकलीफ़ और मायूसी लिखता हूँ
और वे कहतें हैं मैं अच्छा लिखता हूँ

मैं उथल पुथल लिखता हूँ
वो इसे रोमांचित कहानी कहती है

मैं पीड़ा लिखता हूँ
वो इसे खूबसूरत एहसास कहती है

मैं दर्द लिखता हूँ
वो इसे जिंदगी का तजुर्बा कहती है

मैं थकान लिखता हूँ
वो इसे कठोर परिश्रम कहती है

मैं परेशानी लिखता हूँ
वो इसे न भूलने वाली  सबक कहती है

मैं मुसीबत लिखता हूँ
वो इसे ज़िन्दगी जीने का प्रशिक्षण कहती है

और अंत में

मैं मिलना लिखता हूँ
वो इसे सब्र और इंतज़ार कहती है

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