जिन्दगी उस मोड़ पर आ गई है
जिस से जिन्दगी है
उसी से विदाई लेनी पड़ रही है
हाँ माने की थोड़ी मुश्किल है
यहाँ से जाने की ख्वाहिश भी तो अपनी थी
पहले पराया कहे,फिर अपना,अब बेगाना भी कह देगें
सब कुछ छोड़ कर जाने की रिवाज़ है दुनियाँ में
इस रस्म को भी निभानी है
वक़्त किसी के लिए नही रुकता
इस बात को भी समझनी है
एक पिजड़े को तोड़ देने की तैयारी थी
खुला दरवाजा सोच कर हैरानी है
उड़ते परिन्दें कब अपना घोंसला बनाया है
कभी इस डाल पर कभी उस डाल पर फिर शाम होते शहर छोड़ देगें
यहाँ का प्रशिक्षण महाभारत का युद्ध जैसे रहा
युद्ध जीत जाने पर अंत में अपनों का खोने का गम में गले लग कर रोयेगें
हाँ यहाँ से प्रशिक्षित होकर जायेगें
पर अपने सुनहले पल और अपनों की यादों को भुलाने में अप्रशिक्षित रह गए
और अंत में
हमेशा मन मे एक बात ही लगातार चल रहा है
कोई चीज है जो छूट रहा है
कोई चीज है जो आँखों से ओझल हो रहा है
कोई चीज है जिसे भूलना नही चाहते
कोई चीज है जिसे खोना नही चाहते
कोई चीज है जिसे से बिछड़ना नही चाहते
कई वादें हैं जिसे तोड़ना नही चाहते
कोई चीज है जो कुछ दिन और ठहर जा कह रहा हो