Thursday, 28 July 2016

पटना से भागलपुर की यात्रा...!

अभी दानापुर भागलपुर इंटरसिटी से भागलपुर जाने वाला हूँ..मेरे साथ नाम तो सुना ही होगा #राज ! राज है, पूरी तरह सज धज के...सुगंधित इत्र के साथ तैयार होकर... मुझे बोला है चलनें के लिये। मैं भी #मैगी की तरह 2 मिनट में तैयार हो गया हूँ....लग रहा ट्रेन छूट जायेगा,
हनुमान मन्दिर पहुँच गया हूँ, पूरी तरह सावन के सोमवारी में भक्त डूबा हुआ है और मैं डाक बम की तरह दौर रहा हूँ, राज पीछे हफ्ते हफ्ते आ रहा है, ट्रेन को धर के पकर लियें हैं..ई का महाराज सिलिपर डिब्बा इंटरसिटी में ...राज भी क्या कम लगता है खिड़की से हाथ घुसिया के रुमाल फ़ेक कर दो सिट का रिजर्ववेसन करा लिया है।छाती चौड़ा कर के बैठते ही एक महिला आ गई है। राजबा को बोलें महिला है अपना सीट देदो.. ई हँसते हुए मुझे देखा, और अपना दाँत दिखाते हुए बोला तुम अपना सीट देदो, और कान में तेल डाल कर सो गया है...अपना सीट महिला को देते हुए पूछा आगे कहाँ तक जाना है? वो बोली बिहार सरीफ, हरनौत जा रहें हैं पिताजी का तबीयत ख़राब है अंतिम समय है मिलनें जा रहें हैं !
एक व्यक्ति मेरे बगल में खड़ा है और अपना हाथ झोला पर से नही हटा रहा है दूसरा व्यक्ति बोला ई झलबा का जान छोड़ दो या मथबा पर् ले लो...उधर से तीव्र गति से रिस्पॉन्स मिला चोरी हो जायेगा तो क्या तू अपना घरबा से लाकर देबेे की..फिर क्या होना है दोनों के बीच संस्कृत का पाठ शुरू हो गया है....
मुझे तो यही लग रहा है इस ट्रेन मे चोरी होना आमबात है क्योंकि राज भी अपना झोला को लात में फसा कर सीट के नीचे रख लिया है।
झालमुड़ही वाला भी आ गया है उसकी आवाज़ सुनते ही एक सज्जन बोलें..कितनों भीड़ रहेगा ई चढ़ जेयवे करेगा और लगता है दूसरे के मथबे पर रख कर बेचेगा...
ट्रेन रुकते ही बोल बम! बोल बम सुनाई देनें लगा है शायद सुल्तानगंज जाने वालें बम हैं.... "बोल बम बोल कर !ट्रेन के भीड़ को चीर कर!!" बोलते अन्दर आ रहा है, एक बम बोला ...पूरा ट्रेन ख़ालिये है,आबेने रे तोरा जगह दिलबो हिये$$.....इसे ही कहते हैं भोले भंडारी की शक्ति, सब मुस्किल को चुटकी में हल कर देतें हैं।
अब भागलपुर पहुँच कर बातचीत होगी...
और फ़िलहाल राज बाबू गर्दन को खिड़की के रड पर रख कर सो रहा है और बीच-बीच में आधा आँख खोल कर बोलता है...नींद आ रहा है!