Monday, 31 August 2015

मर्द और बलात्कार

मर्द और बलात्कार

“मर्द कभी बलात्कार नहीं करते हैं,
माँ की कोख शर्मशार नहीं करते हैं..

मर्द होते तो लड़कियों पर नहीं टूटते,
मर्द होते तो आबरू उनकी नहीं लूटते..

मर्द हमेशा दिलों को जीतता है,
कुचलना नामर्दों की नीचता है…

बेटियां बहन मर्द के साये में पलती हैं,
मर्द की जान माँ की दुवाओं से चलती है..

मर्द नहीं फेकते तेज़ाब उनके शरीर पर,
मर्द प्रेम में मिट जाते हैं अपनी हीर पर..

मर्द उनको देह की मंडियों में नहीं बेचता,
मर्द दहेज़ के लिए उनकी खाल नहीं खेचता..

मर्द बच्चियों के नाजुक बदन से नहीं खेलते,
मर्द बेटियों को बूढों के संग नहीं धकेलते…

निर्भया-कांड के बाद क्या बलात्कार बंद हुए !!
कानून तो बदल गये पर क्या सोच भी बदल गयी !!

सोच बदलना आवश्यक हैं क्यो की सोच बदलेगी,
तो हम बदलेंगे और हम बदलेंगे तभी देश बदलेगा

भगवान की पुकार

जब शिशु माँ के गर्भ में होता है तो वहाँ बहुत छोटी सी जगह होती है, शिशु करवट भी नहीं ले सकता ऐसी जगह होती है और रहता कहाँ है माँ के मल-मूत्र में लिपटा हुआ रहता है और वो भी उलटा लटका होता है, मल- मूत्र में लिपटे हुए पुरे नौ महीने हर मनुष्य रहता है, पैसे वाला बनेगा बाद में गरीब बनेगा बादमें गर्भ में तो सब की दशा बराबर है और शिशु जब दो- तीन महीने का होता है तो ये जो ऊपर का जो स्किन है पर्दा वो नहीं होता है सिर्फ मांस का लोथड़ा होता है और जब माँ कुछ भी नमक-मिर्च खाती है तो सीधे बच्चे को लगता है सोचिए कितना दर्द होता होगा हमे जरा सा कटता है तो कितना दर्द होता है और वहाँ तो सारा कटे के बराबर है जो शिशु नहीं सहन कर पाते हैं वो गर्भ में हीं समाप्त हो जाते है इतने कष्टों वाला है वो गर्भ।
जीव कहता है भगवान मुझे इस नर्क से निकल दो , भगवान कहते हैं मैं तुझे निकाल दूंगा फिर तू मुझे क्या देगा । जीव कहता है, मैं आपको क्या दे सकता हूँ मैं क्या देने लायक हूँ आपको, भगवान कहते हैं नहीं तू दे सकता है जब मैं तुझे मानव बना के भेजू तो ऐसा काम कर के आना जिससे तुझे दुबारा इस मृत्यु-लोक में ना आना पड़े इसलिए मैं तुझे इन्सान बना कर भेज रहा हूँ,
मानव कहता है भगवान मैं जाऊंगा तो भूल जाऊंगा सब माया मुझे पकड़ लेगी, भगवान कहते हैं मैं तुझे याद दिला दूंगा चिंता मत करो,अब आप पूछ सकते है की भगवान ने आपको याद दिलाया हीं नहीं मगर ये बात नहीं है की आपको याद नहीं दिलाया हम जो आपको ये कथा के माध्यम से बता रहे है ये भगवान हीं के प्रेरणा से तो बता रहें है तुम इतने श्रेष्ठ नहीं हो की साक्षात भगवान दर्शन दे,
हम भगवान को दोष नहीं दे सकते की आपने याद नहीं दिलाया अब हमने क्या किया ये याद करने वाली बात है क्या हमने भगवान से किया वादा पूरा किया ?