आज 16 दिसंबर की रात है, सच कहूँ तो लिखनें में भी हाथ कांप रहा है।क्योंकि आज की मनहूस रात को ही अपनी जिंदगी और आबरू की रक्षा के लिए निर्भय हो कर लड़ी थी और इस मानवता के क्रूर लड़ाई में अपनी जीवन ज्योति को बुझा गई।निर्भया ने जिस साहस के साथ जिदंगी की जंग लड़ी और हमेशा के लिए इस समाज और देश को सोने से पहले सबको जगा कर चली गई। इस घटना के बाद जब देश जगा तो पूरा सुरक्षा तंत्र भी बदलनी पड़ी।
पूरा देश उसे निर्भया बेटी कह कर पुकारता है ।।
न नाम, न पता , न जात-पात, न धर्म, सब के सब इस घटना के बाद छोटा दिखनें लगें।सबनें एक साथ होकर इस सामजिक लड़ाई में आवाज़ उठाई।
तीन साल के बाद असली नाम पता चला है ।
निर्भया की मां बोलीं- मेरी बेटी का नाम ज्योति था, मुझे यह बताने में कोई शर्मिंदगी नहीं.....
पूरा देश उसे निर्भया बेटी कह कर पुकारता है ।।
न नाम, न पता , न जात-पात, न धर्म, सब के सब इस घटना के बाद छोटा दिखनें लगें।सबनें एक साथ होकर इस सामजिक लड़ाई में आवाज़ उठाई।
तीन साल के बाद असली नाम पता चला है ।
निर्भया की मां बोलीं- मेरी बेटी का नाम ज्योति था, मुझे यह बताने में कोई शर्मिंदगी नहीं.....
इतना सब कुछ होने के बाद स्थिति नही बदली है।
समाचार पत्र में हर रोज पढ़ने के लिए मिलता है । फिर से किसी महिला का चीर हरण हुआ है...मैं पूछता हूँ कब तक द्रौपदी का चीर हरण होते रहेगा ? कोई तो इसकी समय सीमा होगी? कभी तो इसका अंत होगा.... कभी तो मन भर जानें के बाद छोड़ देगा, कभी तो थक जाने पर कम से कम जिन्दा तो छोड़ देगा,.... अगर नही, तो हम चुप चाप अपनें घर के दरबाजे को बंद कर के अपनी माँ, बहन, पत्नी, बेटी, भाई, को कहना पड़ेगा तुम सब सुरक्षित हो , टीवी के न्यूज़ पर देखें आज किसके साथ दुर्घटना हुआ है या समय रहते आवाज़ उठाएँ .....और कहें
समाचार पत्र में हर रोज पढ़ने के लिए मिलता है । फिर से किसी महिला का चीर हरण हुआ है...मैं पूछता हूँ कब तक द्रौपदी का चीर हरण होते रहेगा ? कोई तो इसकी समय सीमा होगी? कभी तो इसका अंत होगा.... कभी तो मन भर जानें के बाद छोड़ देगा, कभी तो थक जाने पर कम से कम जिन्दा तो छोड़ देगा,.... अगर नही, तो हम चुप चाप अपनें घर के दरबाजे को बंद कर के अपनी माँ, बहन, पत्नी, बेटी, भाई, को कहना पड़ेगा तुम सब सुरक्षित हो , टीवी के न्यूज़ पर देखें आज किसके साथ दुर्घटना हुआ है या समय रहते आवाज़ उठाएँ .....और कहें
बहुत हो गया है तिरस्कार तुम्हारा
अबकी बार चीर हरण दुःशासन का होगा
दुःशासन तब पुकारेगा...हाय दुर्योधन...हाय दुर्योधन....
अब मुझे बचाओ..मेरा चीर बढ़ा कर मेरी लाज़ बचा...
अपना सच में तू पुरुषार्थ दिखा दुर्योधन...
हाय दुर्योदधन...हाय दुर्योधन..मेरी लाज़ बचा....
कृष्ण बगल में खड़ा होकर मुस्कुरायेगा....
द्रौपदी उसे रणभूमि चलनें के लिए ललकारी गी....
युधिष्ठिर अपने किये पर पचतायेगा( जुआ खेल कर द्रौपदी को हारनें पर)
अर्जुन अबकी बार गीता का पाठ न पढ़ कर, पहले से ही कुरुक्षेत्र में जाकर हुंकारेगा.....
भीम प्रतिज्ञा छोड़ अपनी गदा घुमायेगा...
भीष्मपितामह के आँखों में सच में आँसू आयेगा (ख़ुशी के)
यह सब होता सुनकर, धृतराष्ट्र अपनी अंधी आँखो से भी देख पायेगा....
तब सच में कहेगा, द्रौपदी चीर हरण सच में भयावा था....
हे! आधुनिक मानव अब तो तुम इसे बंद करो।