Tuesday, 25 July 2023

वो मेरे भेजे हुए सारे पत्र को संभाल कर रखती है
वो शाम को उसपर भूँजा, नमक और तीखा मिर्च रखती है

और कहती है सब कुछ ठीक है
थोड़ा नमक के साथ मिर्च और ज्यादा तीखा होना चाहिए

अनजानें शहर में

अनजानें शहर में
गली गली गाँव गाँव मुसाफिर बन फिरता हूँ

ना जानें कब से 
अपना शहर गाँव गली छोड़ कर भटकता फिरता हूँ

ना किसी का सुनने वाला
हर किसी का बातें ध्यान से सुनता फिरता हूँ

डूबते सूरज के साथ
रातभर सोते शहर में अकेले जागते फिरता हूँ

बस्ती बस्ती घोर अंधेरा 
आशा बन रात भर चलते जलते फिरता हूँ

अनजाने शहर को
अपना समझ कर हर वक़्त तैनात रहते फिरता हूँ