सौतन् हो गई नथुनी हमारी, समझा लेवे सुबह-शाम
पिया कुछ बोल न पावे, धततेरी हो गई परेशान
टूट गई सब चूड़ी हमारी, हो गई मैं बदनाम
पिया को कुछ समझ न आवे, धततेरी हो गई परेशान
लाली हमार बिंदिया, झख मारे भोर और साँझ
पिया के मन को ज़रा न भावे, धततेरी हो गई परेशान
उलझन हो गई पायल हमारी, चल न सकूँ मनयार
पिया को कुछ दिख न पावे, धततेरी हो गई परेशान
पड़ोसन हो गई गजरा हमरी, चुग़ली करे चारो ओर
पिया का मन ज़रा न बहले, धततेरी हो गई परेशान
नो-लखा हो गई झुमका हमरी, ताना मारे दिन-रात
पिया का मन ज़रा न डोले, धततेरी हो गई परेशान
हरजाई हो गई कंगन हमरी, करे लाखो सवाल
पिया का मन ज़रा न घबरावे, धततेरी हो गई परेशान
उलझन हो गई लँहगा हमरी, करे हर वक़्त परेशान
पिया का मन सोच न पावे, धततेरी हो गई परेशान
चोरनी हो गई चुनड़ी हमरी, देखे चारो ओर
पिया का मन देख न पावे, धततेरी हो गई परेशान
बासी हो गई माँगटिका हमरी, सवतीया मारे डाह
पिया का मन अब भी है परदेशिया, धततेरी हो गई परेशान
#और_अंत_में
नायक कहता है......
मुझे मनाना नही आता है !
पर वादा करते हैं कभी रूठनें नही देगें !!