Thursday, 14 July 2022

जो मैं हूँ.....जो मैं नही हूँ

खुद ही जोकर बन
यहाँ सब को हँसाए हैं

और क्या बतायें

खुद ही रोये हैं
खुद ही चुप हुए हैं

सच होकर भी
खुद को गलत साबित किये हैं

और क्या

सब के लिए मैं हूँ
मेरे लिए मैं खुद भी नही हूँ

उसको ढूढ़ते ढूढ़ते 
खुद से दूर हुआ हूँ

उसको बचाते बचाते
खुद को ही जलाएं हैं

और क्या लिखूं..

जो मैं हूँ
जो मैं नही हूँ

शिव ही नही सावित्री भी पूजा जाए

समुद्र से गहरा, 
                        स्त्री का समझ
आँख से गहरा 
                       स्त्री का नज़र
बादल से गहरा, 
                       स्त्री का बात
आँगन से गहरा,
                       स्त्री का आँचल
कब्र से गहरा, 
                        स्त्री का सब्र
और अंत में
    
      सावन के पहले दिन पर भारी
      स्त्री के अंतर्मन की बारिस

जाते जाते

शिव ही नही सावित्री भी पूजा जाए

श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं