मैं ड्यूटी पर तैनात लड़का हूँ
और वो OD से फ़रार लड़की है
मैं जनता जनता कहता हूँ
और वो छुट्टी छुट्टी कहती है
मैं रात्रि गश्ती कहता हूँ
और वो मुस्कुराकर रिज़र्व ड्यूटी कहती है
मैं दिवा गश्ती से काला होता लड़का हूँ
और वो 2nd OD पर सजधज कर बैठी है
मैं केस डायरी, CS, से परेशान रहता हूँ
और वो स्टेशन डायरी, सनहा लिखती है
*और अंत में*
ये सारी बातें एक तरह...
अपना काम छोड़ मेरा ही सारा काम करती है वो,
मेरा क्या है.. मैं यूँही दरबदर/तन्हा भटकता हूँ