Wednesday, 4 May 2016

मन पर "मन की बात"

जिंदगी के रास्तों में लात खाते-खाते ,गालियाँ सुनते-सुनते, दूसरों का ताना-बाना झेलते-झेलते अपने अंदर एक जबरदस्त मानसिक नवविचार का ठहराव पाता हूँ। अब हम खुद से कहते हैं कि अब किसी की इतिचुकी की भी परवाह नही, चाहे कोई कुछ सोचे या कुछ भी बोले जो रास्ता हमनें चुना है सबसे बेहतर है......
"अपनी जिंदगी अगर खुद की मर्जी से न जीयी तो सब बेकार है"

पिंजरे में बंद परिन्दे,आज़ाद पक्षी को घयाल होते देखकर बड़े प्रसन्न होते हैं,
क्योंकि उनकी घुटन से उत्पन्न हीनता की भावना को शान्ति मिलती है!

'P' शब्द बहुत प्रिय है :-

       हम जिंदगी भर P के पीछे भागते रहते है ।
जो मिलता है वह भी P और जो नहीं मिलता वह भी P ।

                 P  👨  पति
                 P  👩  पत्नि
                 P  👦  पुत्र
                 P  👧  पुत्री
                 P  👪  परिवार
                 P   💵  पैसा
                 P  💺  पद
                 P  🏡  प्रतिष्ठा
                 P  😇  प्रशंसा
                 P  ❤  प्रेम
                 P 💑  प्रेमिका
                 P 💃 पगलीश्री
                
       ये सब P के पीछे पड़ते-पड़ते हम पाप करते है यह भी P है ।  फिर हमारा P से पतन होता है और अंत मे बचता है सिर्फ, P से पछतावा ।  पाप के P के पीछे पड़ने से अच्छा है परमात्मा के P के पीछे पड़े।
और P से कुछ पुण्य कमाये.

P से प्रणाम..