यादें झांकती है टूटी हुई खिड़की से अक्सर
मैं चेहरा छुपाये घूमता हूँ तेरे उजड़े हुए शहर से
अक्सर न मिलनें की उम्मीद से आता हूँ तेरी गली में
प्रतीक्षा में ख़ुद की छोड़ आता हूँ तेरी गली में खुद को
आते जाते राहगीर पूछते हैं ख़ैरियत मुझसे
हर बार तेरा जैसा हाल कह देता हूँ उससे