Friday, 7 October 2022

मैं अपने ज़िन्दगी का

मैं तकलीफ़ और मायूसी लिखता हूँ
और वे कहतें हैं मैं अच्छा लिखता हूँ

मैं उथल पुथल लिखता हूँ
वो इसे रोमांचित कहानी कहती है

मैं पीड़ा लिखता हूँ
वो इसे खूबसूरत एहसास कहती है

मैं दर्द लिखता हूँ
वो इसे जिंदगी का तजुर्बा कहती है

मैं थकान लिखता हूँ
वो इसे कठोर परिश्रम कहती है

मैं परेशानी लिखता हूँ
वो इसे न भूलने वाली  सबक कहती है

मैं मुसीबत लिखता हूँ
वो इसे ज़िन्दगी जीने का प्रशिक्षण कहती है

और अंत में

मैं मिलना लिखता हूँ
वो इसे सब्र और इंतज़ार कहती है

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