अभी दानापुर भागलपुर इंटरसिटी से भागलपुर जाने वाला हूँ..मेरे साथ नाम तो सुना ही होगा #राज ! राज है, पूरी तरह सज धज के...सुगंधित इत्र के साथ तैयार होकर... मुझे बोला है चलनें के लिये। मैं भी #मैगी की तरह 2 मिनट में तैयार हो गया हूँ....लग रहा ट्रेन छूट जायेगा,
हनुमान मन्दिर पहुँच गया हूँ, पूरी तरह सावन के सोमवारी में भक्त डूबा हुआ है और मैं डाक बम की तरह दौर रहा हूँ, राज पीछे हफ्ते हफ्ते आ रहा है, ट्रेन को धर के पकर लियें हैं..ई का महाराज सिलिपर डिब्बा इंटरसिटी में ...राज भी क्या कम लगता है खिड़की से हाथ घुसिया के रुमाल फ़ेक कर दो सिट का रिजर्ववेसन करा लिया है।छाती चौड़ा कर के बैठते ही एक महिला आ गई है। राजबा को बोलें महिला है अपना सीट देदो.. ई हँसते हुए मुझे देखा, और अपना दाँत दिखाते हुए बोला तुम अपना सीट देदो, और कान में तेल डाल कर सो गया है...अपना सीट महिला को देते हुए पूछा आगे कहाँ तक जाना है? वो बोली बिहार सरीफ, हरनौत जा रहें हैं पिताजी का तबीयत ख़राब है अंतिम समय है मिलनें जा रहें हैं !
एक व्यक्ति मेरे बगल में खड़ा है और अपना हाथ झोला पर से नही हटा रहा है दूसरा व्यक्ति बोला ई झलबा का जान छोड़ दो या मथबा पर् ले लो...उधर से तीव्र गति से रिस्पॉन्स मिला चोरी हो जायेगा तो क्या तू अपना घरबा से लाकर देबेे की..फिर क्या होना है दोनों के बीच संस्कृत का पाठ शुरू हो गया है....
मुझे तो यही लग रहा है इस ट्रेन मे चोरी होना आमबात है क्योंकि राज भी अपना झोला को लात में फसा कर सीट के नीचे रख लिया है।
झालमुड़ही वाला भी आ गया है उसकी आवाज़ सुनते ही एक सज्जन बोलें..कितनों भीड़ रहेगा ई चढ़ जेयवे करेगा और लगता है दूसरे के मथबे पर रख कर बेचेगा...
ट्रेन रुकते ही बोल बम! बोल बम सुनाई देनें लगा है शायद सुल्तानगंज जाने वालें बम हैं.... "बोल बम बोल कर !ट्रेन के भीड़ को चीर कर!!" बोलते अन्दर आ रहा है, एक बम बोला ...पूरा ट्रेन ख़ालिये है,आबेने रे तोरा जगह दिलबो हिये$$.....इसे ही कहते हैं भोले भंडारी की शक्ति, सब मुस्किल को चुटकी में हल कर देतें हैं।
अब भागलपुर पहुँच कर बातचीत होगी...
और फ़िलहाल राज बाबू गर्दन को खिड़की के रड पर रख कर सो रहा है और बीच-बीच में आधा आँख खोल कर बोलता है...नींद आ रहा है!
लोग कहते हैं कि तुम्हारा अंदाज़ बदला बदला सा हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब ये अंदाज़ आया है..! A6
Thursday, 28 July 2016
पटना से भागलपुर की यात्रा...!

Monday, 4 July 2016
दिल्ली से पटना " मगध एक्सप्रेस"
अभी मगध एक्सप्रेस में हूँ , टिकट आधा ही कन्फ़र्म हुआ है और उस पर तीन गोटा कोच काच के बैठ गयें हैं।सामने वाले सीट पर दो बच्चे अपनी माँ के कभी गोद में कभी कंधे पर चढ़ के चौंउ चौंउ कर अपने निश्छल प्रेम से लोट पोट हो रहा है, बच्चों की भाषा को सिर्फ़ माँ ही समझ रही हो, और माँ की भावनाओं को सिर्फ़ वो, बीच में और किसी को कोई जगह न हो।
सामने एक महान आत्मा है जो बिना मुँछ के बार बार ताऊ देते जा रहा है, लगता है जवान का नया नया शादी हुआ है, अभी पानी वाला आया है आते ही जवान ने उसको रगड़ दिया है, पानी के एक बोतल लेकर बोला यह बोतल क्यों बेच रहा है जब तक रेल नीर का बोतल लाकर नही देगा ई बोतल न देगें, जाओ सिर्फ रेल नीर का बोतल लाओ, हॉकर बोला मालिक हमको यही मिलबे करता है हमार बोतल दे दीजिय, जायदा करियेगा तो ए गो ला कर दे देगें, इ बतबा सुनते ही जवान को ताऊ आ गया बोला तुम लोग भारत के रेल बेच कर खा गए हो जल्दी रेल नीर लाओ नही तो नौकरी से हटवा देगें... और फिर क्या था जवान पुरे कंपाट में रेलवे के माई बहिन पर् भाषण देना शुरू कर दिया है पाँच आदमी हाँ में हाँ मिला रहा है..
इ जवान को पता नही है कि जो रेल में पानी बेचता है वह गरीब घर से होता है इस लिए वो ट्रेन में पानी बेच रहा है, ट्रेन से हटेगा तो दूसरे जगह पानी बेचेगा,... तुम्हारे ऐसे हरामी लोग जो पेंट्रीकार के ठीकेदार को कुछ नही बोलेगा लेकिन गरीब गुरवन को गर्दन ज़रूर तोड़ेगा.. गलती से कहीं वो अपने बाल बचबन को पढ़ा रहा होगा न तो... तुमको जरूर पानी पिला देगा..
मेरे सीट के कोणा कोणी में एक युवक अपने मोबाईल पर लगातार अँगुली फेर रहा है और बीच-बीच में अपना मुँह बिचका रहा है.. जब हम भी गर्दन टेड़ा कर के देखें तो एक लड़की का फ़ोटो को ज़ूम कर कर के देखे जा रहा है ...
Pslv से तेज रफ़्तार से खाना देने वाला आ रहा है रुकते ही सनी देवल के स्टाइल में बोला डवल अंडा बिरयानी, रायता, आचार,पानी ,प्लेट और चम्मच खाना में है...जो पूछ रहा था वह अभी तक कन्फ्यूजयाल है क्या बोला गया है...
ट्रैन का ख़टर ख़टर जब धीरे होता है तब खिड़की के बाहर से बेंगवा का टर् टर् तेज हो जाता है...देखिये अब कौन तेज बोल कर जीतता है... पूरी रात बाँकी है...
पैर में दर्द अब होने लगा है थोड़ा झार झुर के सीधा कर लेतें हैं ।
और अंत में..
भूख भी लग गया है कुछ इंतज़ाम करता हूँ इस पेट महाराज का।
