Thursday, 24 August 2017

बढ़ता भ्रष्टाचार..डूबता बिहार

हम सब बाढ़ के साथ सृजन घोटाला का मजा ले रहे हैं ...बिहार और बिहारी का यही अंदाज सभी से अलग करता है और खास बनाता है ... समस्या(बाढ़ ) कतना भी क्यों न हो जुगार(सृजन) लगा कर मुस्कराना जरुर पड़ता है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अंतरात्मा की आवाज सिर्फ 24 घंटे के अंदर त्यागपत्र देकर फिर से मुख्यमंत्री बनने में सुनाई देता है... बाढ़ में हर साल मरते आदमी की आवाज सुनाई नही देता है ... जबकी 12 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठ कर मजा लुट रहें है..अब कितना विकास के लिए समय दिया जाय ...

प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान के तहत अभी जरा सा झाड़ू उत्तर बिहार के मित्रों और भाईओं एवम् बहनों के यहाँ लगा दे तब समझ आएगा ... गंदगी कितनी है..पानी कितना है ..समस्या कितना है..और यहाँ के लोगों का जान कितना सस्ता है.

अमित शाह जहाँ चुनाव नही होता वहाँ जाते नही हैं .. दिखावे के लिए दलित घर में खाना खाते हैं और पानी पीते हैं .. इसको बोलो अररिया/सहरसा /मधेपुरा/सुपौल/दरभंगा आकर दलित के घर खाना खाने (सरकारी चुरा चीनी )के लिएऔर कोसी नदी का पानी पीने के लिए..तब समझ आयेगा गरीब का भूख और उसका खाना क्या होता है ?

लालू यादव अपने जवान बेटो को बाढ़ क्षेत्र में नही भेजता है .. 27 तारीख के रैली का तैयारी करबा रहा है ..बिहार की लोग डूबे मरे इस से इसको कोई मतलब नही बस इसके रैली में भीड़ होना चाहिए.. इसको कभी भी बिहार के लोगों की चिंता होती ही नही है..


बिहार में प्रत्येक 2 महीनें में भ्रष्टाचार होता है..सब नेता उसी से बचने के लिए दिमाग लगायेगा उसके बाद अगले महीने फिर से अगला भ्रष्टाचार...यह चलता रहता है... मुख्यमंत्री कोई रहें कोई फर्क नही पड़ता है ..लालू रहे या नीतीश...

और अंत में...

उत्तर बिहार के आंचल में लिखा है बाढ़ ..इसी के गोद में जन्म लेना है, खेलना है , बड़ा होना है और इसी में एक दिन डूब कर मर जाना है....

Monday, 21 August 2017

घर से भी कभी निकल कर देखो....

घर से कभी निकल कर देखो
कभी जलती धूप में तप कर देखो..
बारिस में खुद को डुबो कर देखो
सर्द मौसम में कभी कांप कर देखो...

जिंदगी क्या चीज होती है ?
किताबों के सागर से निकल कर देखो...

कभी आँखों का धोख़ा हो सकता है
फासलों की दूरी मिटा कर देखो...

मिले न मिले, इंतज़ार कर के देखो
अपनों के संग दो वक़्त गुजार कर देखो...

मुहब्बत क्या चीज़ होती है ?
दो क़दम हाथ थाम कर चल कर देखो...

Saturday, 19 August 2017

दुःशासन चीर हरण :- द्रौपदी


बहुत हो गया है तिरस्कार तुम्हारा
अबकी बार चीर हरण दुःशासन का होगा
दुःशासन तब पुकारेगा...हाय दुर्योधन...हाय दुर्योधन....
अब मुझे बचाओ..मेरा चीर बढ़ा कर मेरी लाज़ बचा...
अपना सच में तू पुरुषार्थ दिखा दुर्योधन...
हाय दुर्योदधन...हाय दुर्योधन..मेरी लाज़ बचा....
कृष्ण बगल में खड़ा होकर मुस्कुरायेगा....
द्रौपदी उसे रणभूमि चलनें के लिए ललकारी गी....
युधिष्ठिर अपने किये पर पचतायेगा( जुआ खेल कर द्रौपदी को हारनें पर)
अर्जुन अबकी बार गीता का पाठ न पढ़ कर, पहले से ही कुरुक्षेत्र में जाकर हुंकारेगा.....
भीम प्रतिज्ञा छोड़ अपनी गदा घुमायेगा...
भीष्मपितामह के आँखों में सच में आँसू आयेगा (ख़ुशी के)
यह सब होता सुनकर, धृतराष्ट्र अपनी अंधी आँखो से भी देख पायेगा....
तब सच में कहेगा, द्रौपदी चीर हरण सच में भयावा था....
हे! आधुनिक मानव अब तो तुम इसे बंद करो।