तमिलनाडु के अरणाचलम मुरगनाथम की बायोपिक #पैडमैन के रिलीज होनें के बाद भी शायद स्थिति कमोबेश वही रहेगी...
इस फ़िल्म को लेकर मुझे कोई ज्यादा उम्मीद नही है क्योंकि रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर होता है।
समस्या पहले भी और आगे भी रहेगी क्योंकि प्रश्न वही पुराना है??
ग्रामीण महिलाएं सेनिटरी पैड का इस्तेमाल क्यों नही करती है ? शायद नही बल्कि यही उत्तर है
1. ग्रामीण महिलाएं सेनिटरी पैड खरीदने में सक्षम नही है..अधिकांशतः कपड़ों का उपयोग करती है
2. उन तक सेनिटरी पैड की पहुँच नही है
3. उन्हें यह मालूम है या नही की सेनिटरी नैपकिन किस बला का नाम है,आखिर होता क्या है
4. नैपकिन की खरीदारी और उपयोग में संकोच एवं शर्म आना
5. मूलतः गाँव मे सेनिटरी पैड सहज व सुलभ नही है
6. पुरुषों से ग्रामीण महिलाएं सेनिटरी नैपकिन माँग ही नही सकती है।
7. शहरों में आज भी दुकानदार पैड को काली पॉलीथिन में देते हैं तो ग्रामीण स्तर की हालत और भी खराब है।
#सुझाव
1. खरीदनें में आसानी हो इसके लिए सेनिटरी नैपकिन/पैड का नाम बदल कर # सहेली कर दिया जाए..
2. महिला स्वंय सहायता समूह और आशा के मदद से ग्रामीण स्तर पर इसका निर्माण किया जाए ताकि उपयोग में सहजता एवं लागत और खरीदने में आसानी हो
3. ग्रामीण स्कूल में बालिकाओं के लिए निःशुल्क सहेली (पैड) का वितरण
4. महिला के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे पर ग्रामीण स्तर पर चौपाल का आयोजन जिसमें महिला भी शामिल हो
#सहेली(पैड) के निर्माण कंपनी के लिए दिशा निर्देश
1. महिला द्वारा सहेली के उपयोग के बाद उसे फेंकने का उचित प्रबंधन किया जाए ताकि सफाईकर्मी (कूड़ावाला) उस से दूरी नही बनायें। सुझाव के तोर पर सहेली के निर्माण कंपनी को प्रति सहेली(पैड) फेंकने के लिए अलग रैपर या पैकेट की व्यवस्था, सहेली के खरीदारी के साथ ही दिया जाए ताकि महिलाओं को फेकने में दिक्कत ना हो।
2. सहेली के tv पर प्रचार-प्रसार करते वक्त नीली स्याही का प्रयोग करता है। उसके बदले लाल स्याही का प्रयोग करे ताकि लोगों को इसकी सच्चाई पता चले और इसको लेकर समझदारी बढ़े।
#सरकार से आग्रह
1. सभी स्कूलों, कॉलेज, स्टेशन, बस स्टॉप और सरकारी भवन में सहेली-बॉक्स लगाया जाए ताकि महिला निःशुल्क वहाँ से सहेली प्राप्त कर सके
2. सहेली पर किसी तरह का कर (GST) नही लगाया जाए
3. महिलाओं को महीनें में 2 दिन विशेषावकाश(प्रकृति अवकाश) सभी सरकारी, गैर सरकारी, संगठित और गैर संगठित क्षेत्र में लागू किया जाए वो भी बिना पूर्व आवेदन के।
और अंत में
जो लिख रहा हूँ उसका संबंध मातृत्व की पहचान से है, सृष्टि सृजन करता का अस्तित्व की निशानी से है!!