Tuesday, 9 November 2021

छठ पूजा पर विशेष

क्योंकि ये छठ जरुरी है..

ये छठ जरुरी है ।

धर्म के लिए नहीं, समाज के लिए नहीं ..
जरुरी है हम आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं।

उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है। उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं। उस परिवार के लिये जो टुकड़ो में बंट गया है।

ये छठ जरुरी है उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों से बड़ा भी घर होता है। उनके लिए जिन्होंने तालाब और नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है।

ये छठ जरुरी है उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है।
जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है।

जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी सलाम करता है।

ये छठ जरुरी है गागर निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए, सूप और दउरा को बनाने वालों को ये बताने के लिए इस समाज में उनका भी महत्व है।

ये छठ जरुरी है उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमज़ोर समझते हैं।

ये छठ जरुरी है,  बेहद जरुरी।

अंत में आप सभी को आस्था के इस पावन पर्व छठ की हार्दिक शुभकामना।।
🙏छठी मइया सबके जीवन मे खुशियां दें🙏

Sunday, 6 June 2021

ये दुनिया अगर मिल भी - Ye Duniya Agar Mil Bhi


Movie/Album: प्यासा (1957)

Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी

ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया
ये इन्सां के दुश्मन समाजों की दुनिया
ये दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी...

यहाँ इक खिलौना है इन्सां की हस्ती
ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी...

जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवाँ जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी...

ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है 
जहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है  
ये दुनिया अगर मिल भी...

जला दो इसे फूंक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूंक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी...