Saturday, 15 August 2015

स्वतंत्रता दिवस

"बदल सकता है क़िस्मत पत्थर की भी, बस शर्त है की उसे किनारे से तरासा जाए"
दिल्ली के लाल क़िले को देख कर आज मैं कह सकता हूँ। वह भी अपनी क़िस्मत पर गर्व कर रहा होगा।उसकी हर नींव की ईंट जो भारत माँ के गर्भ में सोया रहता है ,भारत माँ की जय सुनकर जग उठता होगा ,और कहता होगा मैं निर्जीव ईंट होकर भी इस देश में हर क्षण अपने आप को जीवित पाता हूँ।।
मैंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष का मूकदर्शक हूँ , बहादुरशाह ज़फ़र को अनजान भारत का नेतृत्व करते देखा हूँ।
आज के ही दिन1947 को अपने छाती पर नेहरू को आज़ादी का तिरंगा फहराते देखा हूँ।....मुझे सब कुछ याद है......क्योंकि मैं एक पत्थर का लाल क़िला हूँ जो भारत के आँचल पर खड़ा हूँ मुझे अपने इतिहास ,वर्त्तमान,भविष्य पर गर्व है !!
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इस देश के लोकतंत्र की उर्वर भूमि पर जन्में गाँधी ,अम्बेडकर,नेहरू,सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह ..जैसे वृक्ष हमें स्वतंत्र और लोकतंत्रात्मक गणराज्य के मीठे फल दिए हैं.....!!
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हमने सभी देशों का इतिहास देखा है, वहाँ की सांस्कृतिक हवाओं को देखा है।
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सिकन्दर का यूनान को लूटते देखा है:-आर्थिक मंदी के कारण
लेलिन का सोवियत संघ को टूटते देखा है:-समाजवाद के कारण
बिस्मार्क के जर्मनी को हारते देखा है:-हिटलर के कारण
नेपोलियन के फ़्रांस को झुकते देखा है:-वाटर लू ,प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध मे
मेजनी के इटली को डुबते देखा है:-मुसोलिनी के कारण
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लेकिन कुछ तो बात है हममें,क्योंकि मिटती नही हमारी हस्ती....क्योंकि
हमारी विविधता ही हमारी एकता है।हमारी विशाल धरातल ही हमारी अखण्डता सुनिश्चित करता है।
हमारी पंथनिरपेक्षता, बंधुता, सामाजिक समानता, सहिष्णता है जो हमें सदियों से आज तक अस्तित्व मे रखा है।
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भारत भूमि बड़ी निराली जहाँ वीरों का मेला है !
हम वंशज हैं उस प्रतापी के जिसने शेरो से खेला है !!
सरल भारत ! समस्त भारत!सर्वश्रेष्ट भारत ! सबका भारत !!
~~~~~~~~जय हिन्द~~~~~~~

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