Monday, 30 May 2016

धर्मप्रेमिका ! Unspoken Love

तेरी माथे पर यह लाल चुनरी क्या ख़ूब दिखता है....!
अगर तू इसे परचम बना लो फिर तब कोई बात हो....!!

Sunday, 22 May 2016

इस तरह मुहब्बत की शुरुआत कीजिए!

इस तरह मुहब्बत की शुरुआत कीजिये
एक बार अकेले में मुलाकात कीजिये।
सुखी पड़ी है दिल की जमीं मुद्दतो से यार
बनके घटायें प्यार की बरसात कीजिये।
हिलने न पाये होंठ और कह जाए बहुत कुछ
आंखों में आँखे डाल कर हर बात कीजिये।
दिन में ही मिले रोज हम देखे न कोई और
सूरज पे जुल्फे डाल कर फ़िर रात कीजिये।
:::::::::::::::अलका संग विशेष :::::::::::::::::
धागा है ये प्रेम का जीवन का विश्वास,
एक दूसरे में घुलें प्राण बसे ज्यों साँस !
सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ....
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...!!
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अपना जन्म किसी को याद नही रहता है, पर इतना तो सच है दोस्त,तुमनें जो नये जीवन की शुरुआत की है वह पुनर्जन्म हुआ है तुम्हारा और मैं स्वागत् करता हूँ इस नए जीवन पथ पर, तुम्हारे साथ हाथ पकड़ के चलने वाली हर सुख दुःख की जो संगनी है,उसके साथ सुनसान रास्ते पर अपनापन लगेगा, हर सपना सच लगेगा, हर ख्वाहिश पूरी होगी, दिल और मन की हर मुराद पूरी होगी.... 
बस दोस्त मेरी सीता जैसी भाभी का हाथ पकड़े रहना, तुम्हारी हर इच्छा की पूर्ति होगी...
मैं भगवान से दुआ माँगा हूँ...की मेरे दोस्त को 7 जन्म नही चाहिए जीने के लिए बस इसी जन्म में सातो जन्म के बदले सारा जीवन दे देना और इसी जन्म में सारा प्यार देदे इन दोनों के बीच बना रहे...बाँट बाँट कर न तो जीवन न ही प्यार देना...सब कुछ इसी जन्म में दे देना भगवान! 
एक बार पुनः
सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए .... 
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...!!

Thursday, 12 May 2016

मातृ दिवस पर "मन की बात"

जिस समाज में स्त्री के अस्तित्व और उसके मान सम्मान पर हर रोज प्रश्न चिन्ह लगतें हों वहाँ पर एक दिन का मातृ दिवस का ढ़ोल, मैं नही पिट सकता हूँ।
मातृत्व सुख और उसकी पीड़ा क्या होती है ? यह तो हर माँ ही बता सकती है। क्योंकि इस मामले में मैं अयोग्य हूँ, इस लिए लिख नही पा रहा रहा हूँ।परंतु ऐ तो सच है यह दुनियां की सबसे सुखद अनुभूति होती है।
मातृत्व सुख चाहे मनुष्य, पशु, पक्षी के मादा का हो हमेशा सुखद,पीड़ादायक,उत्साहवर्द्धक,स्नेहपूर्ण, ममता से भरा हुआ होता है।लेकिन मातृ दिवस पर हम सब सिर्फ अपनी माँ को ही याद कर के छोड़ देतें हैं बाँकी सब प्राणी ऐसे हैं जिसनें पीड़ा सहन ही नही की हो....
किसी अभागन की मांग सुनी है फिर भी गोद भर जाए मतलब एक अविवाहिता का मातृत्व सुख बेहद भेद-भाव पूर्ण एवं कष्टपूर्ण होता है हम सब तो मिलकर उसके और बच्चे की साँसे तक छीन लेते हैं क्योंकि माँ बन कर दुनियां का सबसे बड़ा पाप जो उसने कर दिया है...
पतित महिला के बारे में हम सब तो भूल ही जाते हैं की उसका न तो महिला दिवस होता है और न ही मातृ दिवस, आज के दिन भी वे कहीं पर दम तौड़ रही होती है... उसकी तो अलग ही दुनियां है, आज के समय में भला उसे कौन मातृ दिवस का शुभकामनाएं दे रहा होगा...ज्यादा से ज्यादा हमदर्दी दिखानें पर बदन पर से आज कम कपड़े नुचेगें...आत्मा कम कल्पेगा...
तलाक़ और विधवा माँ को हम सब किस नज़र से देखतें है किसी से छुपा नही हुआ है.... आज भी वे अपनी मान समान के लिए हमारे समाज के सामने घुटनें टेके रहती है....उसके बच्चे से हमेशा एक ही प्रश्न पूछते हैं, बाप का नाम बताओ..??
दारूबाज जब अपनी ही पत्नी से कहता है यह किसका बच्चा है? उसके बाद उस महिला से पूछिए मातृत्व सुख और मातृ दिवस क्या होता है ??...
इन सब से थोड़ा संतोषप्रद विवाहिता माँ कि स्थिति होती है। कब गर्भवती होना है कब नही, लड़का को जन्म देना है या लड़की को इस बार मौका देना है या गर्भपात कराना है... सारे फैसले दूसरे के होते हैं। लगता है यह माँ नही कोई मशीन है जो किसी सामान का उत्पाद करेगी दूसरी की माँग, जरूरत, इच्छा के हिसाब से....
बच्चों की परवरिश में भी बच्चे सम्भल जाये तो श्रेय बाप को मिलता है और अगर बिगड़ गये तो कलंक का कालिख़ माँ को लगता है।
हम सब भी बड़े होकर भूल जाते हैं कि माँ ने कितने कष्ट सहकर पाला है और हमारी आनेवाली पीढ़ी को बस यही लगता है की कब बुढ़िया मरे तो इसकी सेवा करनें से जान छूटे...
माँ के लिए हर कोई ज्यादा से ज्यादा घर में AC, चार चक्की गाड़ी, नौकर की व्यवस्था और बीमार होनें पर डॉक्टर एवं हॉस्पिटल की सुविधा, कभी घूमने के लिए बाहर ले जाना... इस से ज्यादा कोई नही करता है।
माँ का ऋण ही इतना ज्यादा है की इसे चुकता या लौटाने के लिए सोचता भी नही हूँ..इस कर्ज़ में डूबे रहनें का अपना अलग ही मज़ा है...
ऊपर तमाम बातों के बावजूद #मातृ_दिवस मनाना बेहद ज़रूरी है..
और अंत में
प्राणी जगत् के समस्त माताओं को #मातृ_दिवस पर चरण स्पर्श..!

Wednesday, 4 May 2016

मन पर "मन की बात"

जिंदगी के रास्तों में लात खाते-खाते ,गालियाँ सुनते-सुनते, दूसरों का ताना-बाना झेलते-झेलते अपने अंदर एक जबरदस्त मानसिक नवविचार का ठहराव पाता हूँ। अब हम खुद से कहते हैं कि अब किसी की इतिचुकी की भी परवाह नही, चाहे कोई कुछ सोचे या कुछ भी बोले जो रास्ता हमनें चुना है सबसे बेहतर है......
"अपनी जिंदगी अगर खुद की मर्जी से न जीयी तो सब बेकार है"

पिंजरे में बंद परिन्दे,आज़ाद पक्षी को घयाल होते देखकर बड़े प्रसन्न होते हैं,
क्योंकि उनकी घुटन से उत्पन्न हीनता की भावना को शान्ति मिलती है!

'P' शब्द बहुत प्रिय है :-

       हम जिंदगी भर P के पीछे भागते रहते है ।
जो मिलता है वह भी P और जो नहीं मिलता वह भी P ।

                 P  👨  पति
                 P  👩  पत्नि
                 P  👦  पुत्र
                 P  👧  पुत्री
                 P  👪  परिवार
                 P   💵  पैसा
                 P  💺  पद
                 P  🏡  प्रतिष्ठा
                 P  😇  प्रशंसा
                 P  ❤  प्रेम
                 P 💑  प्रेमिका
                 P 💃 पगलीश्री
                
       ये सब P के पीछे पड़ते-पड़ते हम पाप करते है यह भी P है ।  फिर हमारा P से पतन होता है और अंत मे बचता है सिर्फ, P से पछतावा ।  पाप के P के पीछे पड़ने से अच्छा है परमात्मा के P के पीछे पड़े।
और P से कुछ पुण्य कमाये.

P से प्रणाम..