ग़ालिब तेरे शहर में सब सच्चे हैं..
बस तेरे अपनों को छोड़ कर...
बस तेरे अपनों को छोड़ कर...
अस्मत लूट कर अपनें कहनें वाले,अस्पताल पहुँचा दिये..
नायिका तब कहती है :-----
सजन तू कितना मेरा स्वास्थ्य का ख़्याल करते हो..
सजन तू कितना मेरा स्वास्थ्य का ख़्याल करते हो..
अनुभव का बाज़ार में माँग बहुत है ग़ालिब..
बेईमानी की तराजू से ईमानदारी बिकता है बाबू
बेईमानी की तराजू से ईमानदारी बिकता है बाबू
10 रुपये के दाम पर एक लड़की बेवफ़ा हो गई,
No comments:
Post a Comment