हरामख़ोरी एक कला है। जिस में व्यक्ति हरामख़ोर से हरामख़ोरी तक के सफ़र में निपुणता हासिल करता है और बाद में अपने कारनामों के अनुभव और उम्र का तकाज़ा का प्रयोग करता है।
हरामख़ोर नामक प्राणी हमारे समाज में हमारे आसपास ही रहता है।वह कभी शिक्षक, पड़ोसी, दोस्त, प्रियतम, मकान मालिक, किरायदार या संबन्धी के रूप में होता है।
भोली भाली मुरतरूपि सूरत को अपनी बातों में फसा कर उसका शारीरिक और मानसिक शोषण करता है। महज़ 8वीं और 9वीं कक्षा में पढ़नें वालो या इस उम्र के बच्चों से अगर नाम पूछा जाए तो वह बतानें के क्रम में दस बार सोचता है फिर भी हकलानें लगता है......उस पर यह हरामख़ोर अपनी नामर्दगी साबित करता है।
एक मिनट के लिए जरा सोचें यह शोषित व्यक्ति अगर हमारे घर का निकला तब क्या होगा...उसपर कितनें और किस प्रकार के प्रहार हुआ होगा.....सोच कर दिमाग़ में कंपन होनें लगता है।
इस लिए जहाँ भी यह हरामख़ोर मिले हमारा कर्तव्य और दायित्व बनता है की इस मानसिकता वालों का पुरे जोर से कठोर विरोध करें, अपनें परिवार और समाज की मासूम जिंदगी की रक्षा करें...
और अंत में...
गोरा-चिट्टा, भोली सूरत, शांत स्वभाव पर न जाए। यह कितनों-कितनों को चुपचाप का दिखावा कर अपनें जंजाल में फसाता है।
लोग कहते हैं कि तुम्हारा अंदाज़ बदला बदला सा हो गया है पर कितने ज़ख्म खाए हैं इस दिल पर तब ये अंदाज़ आया है..! A6
Sunday, 22 January 2017
हरामख़ोर..

क़यामत की रात...संपर्क क्रांति एक्सप्रेस
अभी संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में हूँ । ऊपर वाला सीट है, ठण्ड बहुत लग रही है अपना पृष्ठीय क्षेत्रफल कम कर दिया हूँ..फिर भी कोई असर नही दिख रहा है..ओहो मैं आपको बताना भूल गया की मेरे सीट के ऊपर दो दो पंखा चल रहा है...
सामनें वाले सीट पर एक मोहतरमा हैं जो दोनों पंखे पर मालिकाना हक जमा रखी है....मैं अपना दुखभरी राग में भी दर्द सुनाता हूँ तो वो नही मानती है, बोलती तो ऐसी है जैसे सलमान खान की बहन हो " मैनें एक बार कमिटमेंट कर दी हूँ उसके बाद पंखा बंद नही होगा..."इतनें ठण्ड में आइसक्रीम भी खरीद कर खा रही है...
जो मुझे अच्छी तरह से जनता उसे पता है कि गर्मी के मौसम में भी मेरा और पंखा का कैसा रिश्ता रहता है...
और अंत में ...
हाँथ बर्फ हो गया है लिख नही पा रहा हूँ । पता नही यह क़यामत की रात किस तरह गुजारूं..😥😥😥

Friday, 6 January 2017
इस बरस की पहली बारिश मुबारक हो !
इस बरस की पहली बारिश और तुम्हारी यादों की बौछार के साथ मिलकर कपकपी ठंड में भी खुद को भींग जानें से नही रोक पाया ।
