नमस्ते यशपाल,
सप्रेम हरिस्मरण !
अपना जन्म किसी को याद नही रहता है, पर इतना तो सच है, आपनें जो नये जीवन की शुरुआत की है वह पुनर्जन्म हुआ है आपका और मैं स्वागत् करता हूँ इस नए जीवन पथ पर, आपके साथ हाथ पकड़ के चलने वाली हर सुख दुःख की जो संगिनी है,उसके साथ सुनसान रास्ते पर अपनापन लगेगा, हर सपना सच लगेगा, हर ख्वाहिश पूरी होगी, दिल और मन की हर मुराद पूरी होगी.... बस अपनी सीता जैसी धर्मपत्नी का हाथ पकड़े रहियेगा.., आपकी हर इच्छा की पूर्ति होगी...हर मुसीबत से लड़ने की शक्ति मिलेगी...,। मैं भगवान से दुआ माँगा हूँ... की आपको सात जन्म नही चाहिए जीने के लिए बस इसी जन्म में सातो जन्म के बदले सारा जीवन दे दे और इसी जन्म में सारा प्यार देदे जो आप दोनों के बीच सदा बना रहे... बाँट बाँट कर ना तो जीवन ना ही प्यार देना... सब कुछ इसी जन्म में दे देना भगवान!
धागा है ये प्रेम का जीवन का विश्वास,
एक दूसरे में घुलें प्राण बसे ज्यों साँस !
सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ...
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....!!
No comments:
Post a Comment