Friday, 28 October 2022

मेरे कमरे में

मेरे कमरे में
मैं हूँ, कुछ किताबें और उसकी यादें हैं
मिठाई, कुछ बिस्कुट, और कुरकुरे हैं
आँशु, कुछ सिसकियां और मजबूरियां हैं

और अंत में

कुछ मेरी, कुछ उसकी, और हम दोनों की कहानी है..
आप सबों को सुननी है..उसकी जुबानी है

Tuesday, 25 October 2022

वो दीपावली की अगली सुबह की तरह है

वो दीपावली की अगली सुबह की तरह है
फिर से रोज की तरह घर,आँगन सँवारेगी

वो दीपावली की अगली दोपहर की तरह है
फिर से सारा पिछला हिसाब कर बात सुनाएगी

वो दीपावली की अगली शाम की तरह है
फिर से तिनका तिनका जमा कर घर सजायेगी

वो दीपावली की अगली रात की तरह है
फिर से सारी रात ख़ामोशी से गुजारेगी

और अंत में

वो मेरी ज़िन्दगी के अमावस्या की पूर्ण चाँद की चाँदनी है
उसके बिना क्या पर्व त्योहार सब फीका है

ऐ BPA यहाँ से जाने के बाद.....तेरा किस्सा अलग से लिखूँगा

ऐ BPA यहाँ से जाने के बाद
तेरा किस्सा अलग से लिखूँगा

सर पर तेज धूप है, हाथों में झाड़ू है
साफ़ सड़कों पर भी झाड़ू लगता हूँ
यहाँ सम्मान कम है, सैलरी उससे भी कम है

ऐ BPA यहाँ से जाने के बाद
तेरा किस्सा अलग से लिखूँगा

छुट्टी है उसमें भी ड्यूटी है
ये पर्व त्यौहार छुट्टी में क्यों चले आते हो
तू पैतृक और गृह जिले में अन्तर कर जाते हो

ऐ BPA यहाँ से जाने के बाद
तेरा किस्सा अलग से लिखूँगा

यहाँ से जाने के बाद
तेरी हर बुराई के बदले अच्छाई बताऊंगा
तुझसे मिलने की तम्मना का गाना गुनगुना कर सुनाऊंगा

ऐ BPA यहाँ से जाने के बाद
तेरा किस्सा अलग से लिखूँगा

और अंत में

यहाँ कोई ऐसा नही
जिस पर भरोसा हो

Monday, 24 October 2022

एक दीया मैंने भी जलाई है..मोतिहारी

एक दीया मैंने भी जलाई है.. जिसमें उम्मीदों का बाती है.. जो तेल/तिल से नही बल्कि हमारी विश्वासों से जलता है....इस दीये की लो..हमारी आशा और भरोसा है.. जिसके कारण दुःख से सुख की ओर.. निराश से आशा की ओर.. और अंधेरे से उज्जाले की ओर ले जाता है...
जिंदगी में अभी भी बहुत अच्छा होना बाँकी है.. इसलिए भी ये दीये की छोटी लो होने के बाद भी पूरी रात सान से जलेगा..
      ये दीया तेज हवा, सीत,कुहासे,..आधुनिक प्रकाश के बीच सारी रात डट कर लड़ते, सबरते..खुद को बुझनें से बचायेगा...ये हमे बुरे वक्तों से लड़ना सिखाती है...दीये की लो..हमें हिम्मत, साहस, खुद पर भरोसा करना सिखाती है.. कभी भी आखिरी क्षण तक आपना कर्म करना भी सिखाती है...

और अंत में

आप अपने हाथों से एक दीया जरूर जला कर अपनी चौखट,आँगन ..अपनी देहरी पर जरूर रखियेगा.... ये हमे घर,आँगन, अपनो का एहसास भी कराती है..

शायद लिखनें में देरी हो गई है.. माफ़ी चाहता हूँ..

आपको और आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..

💐💐💐💐💐💐💐

Monday, 17 October 2022

मेरी दवा

इस अजनबी शहर में जब बीमार पड़े
डॉक्टर साहब पर्ची पर लिखे
सबसे पहले अपनो से मिल आओ..


मैं उस डॉक्टर साहब का नियमित मरीज बन गया 

जिसने पर्ची पर दवा में उससे मिलना लिखा है

Sunday, 16 October 2022

समझदारी v/s मोहब्बत

नाराज़गी भी उसी से है
नज़रे भी उसी पर अटकी है

शिकायत भी उसी से है
सनम भी मेरा वही है

हजार कसमे हैं उनसे न मिलूं
हर वक़्त इंतज़ार भी उन्हीं का है

थक कर हर रोज सो जाता हूँ
वो मेरे अंदर रात भर जागती है

और अंत में

सारी समझदारी एक तरफ
उनसे मोहब्बत एक तरफ

Saturday, 8 October 2022

घर वापसी

जो 2 दिन के PL दे सकते नही हैं
वो 10 दिन के छुट्टी पर भेजें हैं

जिला वापस तो भेज सकते हैं
पर  वापस बुला सकते नही

जो ट्रेनिंग मीन्स टाइम कहते थे
वो कुछ के लिए pop में सिटी बजाते हैं

जो संडे आउट पास देने से कतराते थे
अब इधर हर समय खुली हवा में घूमते रहते हैं

उधर 9:30 सुबह से 8:00 रात तक क्लास करते
अब इधर इतने समय मे चादर तान कर सोते हैं

उधर छुप छुप कर छत पर बाते करते थे
इधर दोस्तों को खोज खोज कर बात करते हैं

मेस का खराब खाना से तंग आकर
अब इधर ही तंदूरी रोटी तोड़ते हैं

उधर रिपोर्ट हो जाएगा से डरते थे
इधर रिपोर्ट किस पर करूँ उसको  ढूंढते हैं

उधर पगली के साथ घूमता था
इधर खुद ही पागल बन घूमता हूँ

और अंत में

इतनी आज़ादी में भी पिंजड़े से ही मोहब्बत कर बैठा हूँ
Bpa वापस जाने की अब बहुत जल्दबाजी है

Friday, 7 October 2022

वो लड़की याद आती है....

ये दुनिया प्यार के किस्से मुझे जब भी सुनाती है... 
वो लड़की याद आती है.....

कभी खुशबू भरे खत को सिरहाने रखकर सोती थी,
कभी यादों के बिस्तर से लिपटकर खूब रोती थी 
कभी आंचल भिगोती थी, कभी तकिया भिगोती थी..2 
ये उसकी सादगी है जो हमें अब भी रुलाती है 
वो लड़की याद आती है.........

चली आती थी मिलने के लिए, 
हील-ए-बहाने से गुजरती थी 
क़यामत दिल पे उसके लौट जाने से. 
मुझे बेहद सुकून मिलता था उसके मुस्कुराने से 
उतरकर चांदनी जिस वक्त छत पर मुस्कुराती है.. 
वो लड़की याद आती है.....

वो मेरा नाम गीतों के बहाने गुनगुनाती थी 
मैं रोता था तो वो भी आंसुओं में डूब जाती थी 
मैं हँसता था तो वो भी मुस्कुराती थी
अभी तक याद उसी की प्यार के वो गीत लुटाती है 
वो लड़की याद आती है.....

जहा मिलते थे दोनों वो ठिकाना याद आता है 
वफ़ा का दिल का चाहत का फ़साना याद आता है 
उसका ख्वाब में आकर सताना याद आता है 
वो नाजुक नरम उंगली अब भी मुझको गुदगुदाती है 
वो लड़की याद आती है.....

याद का सावन किताबो को भिगोता है 
अकेले में ये मुझको महसूस होता है

लड़की याद आती है …..

मैं अपने ज़िन्दगी का

मैं तकलीफ़ और मायूसी लिखता हूँ
और वे कहतें हैं मैं अच्छा लिखता हूँ

मैं उथल पुथल लिखता हूँ
वो इसे रोमांचित कहानी कहती है

मैं पीड़ा लिखता हूँ
वो इसे खूबसूरत एहसास कहती है

मैं दर्द लिखता हूँ
वो इसे जिंदगी का तजुर्बा कहती है

मैं थकान लिखता हूँ
वो इसे कठोर परिश्रम कहती है

मैं परेशानी लिखता हूँ
वो इसे न भूलने वाली  सबक कहती है

मैं मुसीबत लिखता हूँ
वो इसे ज़िन्दगी जीने का प्रशिक्षण कहती है

और अंत में

मैं मिलना लिखता हूँ
वो इसे सब्र और इंतज़ार कहती है

Waiting to bpa

Wednesday, 5 October 2022

भीड़ का नया कारण/प्रकार भी..

दुर्गा पूजा मोतिहारी ..
मेरा यहाँ अभी भीड़ और जाम है..

65 वर्षीय दंपत्ति मंदिर के मुख्य द्वार पर किसी बात को लेकर मतभेद हो गया है...65 वर्षीय नायिका नायक को धमकी दे रही है.. कभी कभी बीच मे आँख और ऑंगली भी दिखा रही है...
यह सब देख भीड़ चारो ओर से घेर लिया है.. हटने का नाम ही नही ले रहा है.. मेरी आवाज dj/साउंड की आवाज के कारण किसी को शायद सुनाई नही दे रहा है...
बेचारा नायक इस उम्र में भी चुपचाप है सिर्फ नायिका की बात सुन रहा है.. और डांट भी...
नायक सिर्फ इतना कह पा रहा है चलो घर.. अपनी बाईक पर बैठने  की ओर इसारा कर रहा है... नायिका बस इतना कहती है.. तुम्हारे साथ नही जायेगें... और कह रही है तुमको छोड़ेंगे नही..

नायक बार बार यही कह रहा है घर चलो.. नायिका उसके साथ जाने का नाम नही ले रही है... बस उसे डांटे जा रही है...
यह सब देखकर.. भीड़ बढ़ते जा रहा है...
और अंत में..
नायक बुझे मन से बाइक से अकेले लगता है घर चला गया है....नायिका बगल होकर किसी को कॉल कर रही है.. गुस्से से
आगे क्या..
भीड़ स्वभाविक रूप से अब खत्म हो गया है..

Tuesday, 4 October 2022

Monday, 3 October 2022

कर्तव्य और जिम्मेदारी के बीच सब्र और इंतज़ार

परदेश में भी तुझे याद करता हूँ
हर चहरे में तुझे ढूंढने का कोशिश करता हूँ..

व्यस्तता तो बहुत बढ़ गई है नये शहर में
फिर भी हर पल में तुझे याद करता हूँ

वादा तो था इस दशहरा अपनी दुर्गा के साथ देखूंगा
परंतु बहरूपिया महिषासुर को रोकने की जिम्मेदारी आ मिली है

जितना दूर रहता हूँ उतनी मोहब्बत होती है तुझसे
जितनी मोहब्बत होती है तुझसे उतनी जिम्मेदारी समझ आती है मुझमें

और अंत में

तेरे बिना ये शहर सुनसान लगता है
पूरा भरा शहर कब्रिस्तान  लगता है

Saturday, 1 October 2022

ज़िन्दगी और कुछ भी नही, तेरी मेरी कहानी है

मैं बेवकूफ हूँ, वो मेरी दिमाग़ है
मैं शिर दर्द हूँ, वो एस्पिरिन है
मैं फ्रेक्चर हूँ, वो क्रेक बैंडेज है
मैं मोच हूँ, वो आयोडेक्स है
मैं बुख़ार हूँ, वो पैरासिटामोल है
मैं वे वक़्त हूँ, वो हर वक़्त है
मैं मुसीबत हूँ, वो समाधान है
मैं बीमार हूँ, वो इलाज़ है

और अंत में

ज़िन्दगी और  कुछ भी नही, तेरी मेरी कहानी है

 और एक बात

अगर पुनर्जन्म होता है तो अगले जन्म में भी तुम्हारे सुख-दुःख का साथी बनना मेरी पहली और आख़री ख्वाहिश होगी..!