Sunday, 31 July 2022

क्या इश्क से बचकर भागनें वाले बेवफ़ा नही होता

क्या गलतफहमी में रहने का सदमा कुछ नही होता
वो तो सब कुछ जानती थी समझा तो सकती थी
क्या इश्क से बचकर भागनें वाले बेवफ़ा नही होता..
इश्क में पड़ जाने में भी बंदे का बचता कुछ नही

पूरे सावन भी पतझड़ लगता है

महादेव से सावन में सिर्फ इतनी सी विनती है

सावन में भी कोई अपनों से नाराज़ ना हो..
इस सावन कोई अपनों से नही रूठे..

नही तो पूरे सावन भी पतझड़ लगता है

Saturday, 30 July 2022

जब से दिल में दर्द तेज हुआ है

जब से दिल में दर्द तेज हुआ है
तब से उसकी याद तेज हुआ है
कोई ख़बर दो उनको..
         रुक जाओ यार..
उसकी क़दमो की आहट से
फिर से दिल में दर्द तेज हुआ है
कोई दौड़ के जाओ उसके पास
और कह दो...थोड़ा आहिस्ता चले
उसकी क़दमो की आहट को दूर से पहचान लेते हैं
लगता है फिर से दिल मे दर्द तेज हुआ है
आहिस्ता आहिस्ता मेरे करीब आ रही है
...

Friday, 29 July 2022

BPA ड्राइविंग उस्ताद के द्वारा ज़िन्दगी जीने का सीख

गाड़ी पहली बार चलाना शुरू करें तो....
अगर जाना विपरीत दिशा में क्यों न हो..पहले बैक गियर नही लगाएंगे..सबसे पहले वह गियर लगाते हैं जो गाड़ी को आगे बढ़ाये..चाहे शुई का एक नोक इतना आगे क्यों न चले..उसके बाद ही बैक गियर लगायेगें...

फिर समझाते हैं

वक़्त को पीछे मत मोड़िये.. समय/घड़ी की कुदरती गुण है आगे बढ़ना..इसलिए मनुष्य को हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए.. प्राकृति के विरुद्ध नही चलना चाहिए।...अतः ज़िन्दगी की गाड़ी को हमेशा आगे ही बढ़ाते हैं..
बोलते बोलते उस्ताद हँसने लगे..और कहें समझे कि नही समझे..
और हम सब चुपचाप सुन रहे थे..

और अंत में

कोई कोई आदमी छोटी से बात पर बड़ी सीख दे जाते हैं

जाते जाते

जय हिंद सर

जो मेरे दिल मे बसती है उसकी बस्ती

हम जिस बस्ती में हैं
उस में हम बसते नही
जो हमारे अंदर बसते हैं
उसमें हम बसते नही
बसना है मुझे 
उसके साथ बस्ती में
जो बसती है मेरे अंदर

और अंत में

बहुत दूर है वो बस्ती
जहाँ वो बसती है
वहाँ जाने में कई बार बसता हूँ
जो मेरे दिल मे बसती है उसकी बस्ती

Thursday, 28 July 2022

हाँ मीरा मैं भी हूँ तुम्हारी तरह

गुज़रता हूँ मैं भी, मीरा तुम्हारी तरह
सफ़र में मैं भी, पर पूरा नही होता
आधा हूँ मैं भी, मीरा तुम्हारी तरह
डगर पर मैं भी, पर ठहरा नही होता
दुनियाँ वाले क्या जाने इकतारे की पुकार
घर में रहता हूँ पर ख़ुद में नही रहता तुम्हारी तरह
आधा हूँ मैं भी पूरे की तलाश में तुम्हारी तरह
नींद में,होश में, बेहोश में, हाँ मीरा मैं भी हूँ तुम्हारी तरह

Wednesday, 27 July 2022

दुनियाँ में 3 ही तरह के रिश्ते/लोग अपनें होते हैं

दुनियाँ में 3 ही तरह के रिश्ते/लोग अपनें होते हैं
1. माँ और पिता जी
2. भाई और बहन
3. पत्नी/पति और बच्चे
बाँकी सब टांग खींचने वाले..बोले तो..मौके का फायदा उठानें वाले
यही सत्य है चुपचाप मान लीजिए..

Friday, 22 July 2022

वो कहती है,धीरे चलते हो

वो कहती है,धीरे चलते हो
मैंने कहा
उम्र भर साथ चलने का वादा करिए तो
कदम से कदम मिलाकर चलूँगा,न आगे न पीछे,
हाथ मजबूती से नही बल्कि सलीके से पकरूँगा
सुनसान रास्ते पर अपनापन लगेगा,राहे कितनी भी मुश्किल क्यों न आसान लगेगा,तेरा मेरे साथ होने से ही जिन्दगी आसान लगेगा...ज़िन्दगी के राहों में कभी भी अकेला नही छोड़ूंगा..
और अंत में
मैं धीरे धीरे इसलिए चलता हूँ कि जिंदगी के कुछ पल तुम्हारे साथ जी सकूँ..!

Saturday, 16 July 2022

बुलाती है तेरी बाँहों का सहारा

ये कागज़, पत्ता, नदी का किनारा
ये खिड़की, हवा,धूप का साया
ये आँखे, हंसी, जुल्फों का साया
बुलाती है तेरी बाँहों का सहारा

ये बूंदे, सबनम,खेतों का किनारा
ये बादल, बारिस,पानी की धारा
ये होंठों, बिंदी, आँचल का साया 
बुलाती है तेरी बाँहों का सहारा

ये राहे, नदियां, उसी का किनारा
ये यादें, बातें, आँशु का धारा
ये पायल,झुमके,नजरों का साया
बुलाती है तेरी बाँहों का सहारा

Thursday, 14 July 2022

जो मैं हूँ.....जो मैं नही हूँ

खुद ही जोकर बन
यहाँ सब को हँसाए हैं

और क्या बतायें

खुद ही रोये हैं
खुद ही चुप हुए हैं

सच होकर भी
खुद को गलत साबित किये हैं

और क्या

सब के लिए मैं हूँ
मेरे लिए मैं खुद भी नही हूँ

उसको ढूढ़ते ढूढ़ते 
खुद से दूर हुआ हूँ

उसको बचाते बचाते
खुद को ही जलाएं हैं

और क्या लिखूं..

जो मैं हूँ
जो मैं नही हूँ

शिव ही नही सावित्री भी पूजा जाए

समुद्र से गहरा, 
                        स्त्री का समझ
आँख से गहरा 
                       स्त्री का नज़र
बादल से गहरा, 
                       स्त्री का बात
आँगन से गहरा,
                       स्त्री का आँचल
कब्र से गहरा, 
                        स्त्री का सब्र
और अंत में
    
      सावन के पहले दिन पर भारी
      स्त्री के अंतर्मन की बारिस

जाते जाते

शिव ही नही सावित्री भी पूजा जाए

श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं

Tuesday, 12 July 2022

ये काली रात ज़रा...आहिस्ते से गुजरना..

ये काली रात ज़रा...आहिस्ते से गुजरना..
कोई अपना है ...जो सो रहा है
एक ज़रा सा ख्वाहिश है मेरी
सूरज को कल देरी से उगने देना...
उसे सुबह उठने में देरी होगी..

Saturday, 9 July 2022

सब कुछ अपनें हिस्से रखती है

ना नींद बाँटती है
ना बातें बाँटती है
ना ख्वाब बाँटती है
सब कुछ अपनें हिस्से रखती है

ना दर्द बाँटती है
ना कहानी बाँटती है
ना फटे हुए एड़ी की छाप बाँटती है
सब कुछ अपनें हिस्से रखती है

ना दिन बाँटती है
ना रात बाँटती है
ना मेहनत का थका हुआ हिस्सा बाँटती है
सब कुछ अपनें हिस्से रखती है

ना सुखी हुई रोटी बाँटती है
ना घटा हुआ सामान बाँटती है
ना फटे हुए कपड़े की हिस्से बाँटती है
सब कुछ अपनें हिस्से रखती है

मैं देखता हूँ
मैं तड़पता हूँ
मैं रोता हूँ
मैं इंतज़ार करता हूँ
फिर भी
सब कुछ अपनें हिस्से रखती है

Tuesday, 5 July 2022

नमस्ते यशपाल, सप्रेम हरिस्मरण !

नमस्ते यशपाल, 
सप्रेम हरिस्मरण !

अपना जन्म किसी को याद नही रहता है, पर इतना तो सच है, आपनें जो नये जीवन की शुरुआत की है वह पुनर्जन्म हुआ है आपका और मैं स्वागत् करता हूँ इस नए जीवन पथ पर, आपके  साथ हाथ पकड़ के चलने वाली हर सुख दुःख की जो संगिनी है,उसके साथ सुनसान रास्ते पर अपनापन लगेगा, हर सपना सच लगेगा, हर ख्वाहिश पूरी होगी, दिल और मन की हर मुराद पूरी होगी.... बस अपनी सीता जैसी धर्मपत्नी का हाथ पकड़े रहियेगा.., आपकी हर इच्छा की पूर्ति होगी...हर मुसीबत से लड़ने की शक्ति मिलेगी...,। मैं भगवान से दुआ माँगा हूँ... की आपको सात जन्म नही चाहिए जीने के लिए बस इसी जन्म में सातो जन्म के बदले सारा जीवन दे दे और इसी जन्म में सारा प्यार देदे जो आप दोनों के बीच सदा बना रहे... बाँट बाँट कर ना तो जीवन ना ही प्यार देना... सब कुछ इसी जन्म में दे देना भगवान!

धागा है ये प्रेम का जीवन का विश्वास, 
एक दूसरे में घुलें प्राण बसे ज्यों साँस ! 

सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ...
 हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....!!

छोटी बहन को खुला पत्र

चिरायु छोटी बहना
स्नेहशील आशीर्वाद
बहुत मुश्किल हो रहा है कुछ भी लिखने में फिर भी वादे के अनुसार लिख रहा हूँ..सच कहूँ तो
मन मे ख़ुशी है चहरे पर गम की परछाई है..
भारी मन से तेरी डोली को कंधे पर रखने की तैयारी में हूँ
मुझे बचपन का कुछ घटना धुंधली सी याद है
मन ही मन याद कर रहा था की एक जमाना था जब घर में लुड्डो भी खेलनें देना दूर के बात छूनें भी नही देते थे। बहुत मुस्किल से जब खिलाड़ी घट जाता तब एक, दो चान्स मिलता था... सच कहूं तो तुमसे अच्छा कोई नही खेलता था.. छु-ती-ती-ती, चोर-सिपाही, क्रोस- ज़ीरो, कैरम बोर्ड.. बैटमिंटन... यदि सब वाला खेल में मौका मिलते...तुम अच्छी खेलती थी यह भी याद है..

मैं घर में अलग ही कारनामों के लिए चर्चित था पर तुम छोटी ..गलती से भी किसी कुत्ते पर भी पत्थर उठा कर नही फेकी होगी।कभी भी गुस्से से गिलास भी उठा कर नही पटकी होगी। हाँ अगर गुस्सा ज्यादा आने पर देर तक खाना बनाने के साथ एक दो रोटी जरूर ज्यादा बना देती थी...मुझे सारी बात अच्छी से याद है...

अपने परवरिस और परिस्थितियों के विपरीत भी बहुत मेहनत और पढ़ाई की है जिसपर मुझे गर्व है...

जैसे जैसे तुम्हारी विदाई का वक़्त नजदीक आ रहा है वैसे वैसे ..पुरानी बातें याद करता हूँ तो ...तुम्हारी हर बात मुझे सही लग रहा है... और एक बात कहूँ... मेरे सफलता में और जीवन मे तुम्हारी बहुत योगदान है.. मैं ऋणी हूँ बहन तुम्हारी..जब याद करना मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा मिलूँगा...

आज मैं संकल्प लेता हूँ की तुम्हारी स्वतंत्रता, आज़ादी, पसंद, नापसंद, तुम्हारी हर इच्छा को सर्वोपरि स्थान दूँगा। तुम्हारी विकासपथ पर कभी भी धर्म, समाज का रीति रिवाज, प्रथा का आँच नही आनें दूँगा..जब भी बुलाओगी मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे लिए जरूर आ जाऊँगा... ये अटल प्रतिज्ञा है मेरी....
जो गलतियाँ हो गई तो हो गई अब अपने बराबर तुझको भी अधिकार दूँगा ही नही बल्कि किसी तरह का अंतर या भेदभाव नही करूँगा।

और अंत में
ऐ छोटी तुम्हारे जाने के बाद तुम भी जानती है मेरा मन नही लगेगा..जब मेरा मन करेगा बिना बोले तुमसे मिलने आ जाऊंगा..मन मत करना कि पहले मोबाइल से कॉल क्यों नही किये...
और है एक बात ..घर मे जितना तुम्हारा सामान है सब उसी तरह रहेगा..साथ ही तुम्हारा रूम भी ..जब दिल करे आ जाना..सब कुछ वैसे ही मिलेगा..जैसे तुम छोड़ गई होगी...

जाते जाते...
तुम्हारी याद हम सभी को बहुत आयेगी...बहुत मुश्किल हो रहा...तुम्हारे बिना यहां कैसे सुबह होगा...पगली की तरह हर किसी का बात मानती थी..हर बात पर हाँ कह देना की मैं कर लूँगी...बाबूजी और माँ का ख्याल तुम से ज्यादा कोई नही रख पायेगा... ये तुम भी जानती हो...
फिर मैं कोशिश करूंगा..

आगे क्या लिखूं.. अब हिम्मत नही   हो रही है..
अपना ख्याल रखना छोटी..
                              तुम्हारा बेवकूफ भाई
                            जिसे कुछ नही आता है

Saturday, 2 July 2022

सीने में एक पगली सी लड़की रहती है

बात करते हैं तो झगड़ती है न करू तो लड़ती है

मिलते हैं तो बात सुनाती है न मिलूँ तो मुंह फुलाती है

देखूं तो आँख दिखती है न देखूं तो ढूंढती है

खुशी में उपवास रखती है नाराज होकर भूखे रहती है

दूर रहूँ तो हक जताती है पास रहूँ तो नखरे दिखाती है

सीने में एक पगली सी लड़की रहती है। जब भी याद आते हैं तो गले लिपट कर रोती है..और  चुपके से मेरे अंदर छुप कर भी रहती है...
सच कहूँ तो ये पगली ही मेरी पूरी दुनियां है..इसके बिना मैं कुछ सोचता भी नही हूँ